नई दिल्ली। विश्वविद्यालयों में 200 प्वाइंट रोस्टर की बहाली को लेकर चल रहे देशव्यापी आंदोलन के बीच केंद्र सरकार ने बहुजन संगठनों की मांग मान ली है. गुरुवार 7 मार्च को कैबिनेट की एक बैठक में 13 प्वॉइंट रोस्टर को पलटकर 200 प्वॉइंट रोस्टर सिस्टम लागू करने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई. कैबिनेट बैटक के बाद केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने इसकी जानकारी दी. इसके साथ ही साफ हो गया कि देश भर में 13 प्वाइंट रोस्टर को रद्द किए जाने की मांग करने वाले संगठनों के आगे सरकार झुक गई है.
फैसले की जानकारी देते हुए अरुण जेटली ने कहा कि 13 प्वाइंट रोस्टर की वजह से विश्वविद्यालयों में कमजोर वर्गों का प्रतिनिधित्व कम हो जाता, इसकी वजह से केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाने का फैसला किया है. हालांकि जिस तरह इस मामले पर सरकार खेलती रही उससे साफ है कि सरकार ने वंचित तबके को प्रतिनिधित्व देने के लिहाज से नहीं बल्कि एससी-एसटी-ओबीसी के संयुक्त आंदोलन से डरकर यह फैसला लिया है.
सरकार के फैसले के बाद तमाम शिक्षक संगठनों ने इसका स्वागत किया है. हालांकि कुछ लोगों ने शंका जताई है कि जब तक अध्यादेश की कॉपी सामने नहीं आ जाती, कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. कुछ संगठन इस दौरान 13 प्वाइंट रोस्टर के तहत हुई बहालियों को भी रद्द करने की मांग कर रहे हैं. टीचर्स एसोसिएशन के नेशनल चेयरमैन प्रो. हंसराज ‘सुमन ‘व महासचिव प्रो. के पी सिंह यादव ने अध्यादेश लाए जाने का स्वागत किया है. उनका कहना है कि पिछले एक वर्ष से देशभर के शिक्षक सड़कों पर आंदोलनरत थे इसके आने से राहत महसूस कर रहे हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस अध्यादेश की वैद्यता 6 माह की होती है, आगामी संसद सत्र में पास करके कानून बनाना होगा जब जाकर स्थायी राहत मिलेगी, अभी केवल तात्कालिक राहत मिली है.
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।