उत्तर प्रदेश में बहराइच से सांसद सावित्री बाई फुले ने भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. चर्चा है कि सावित्रीबाई फुले बहुजन समाज पार्टी में जाना चाहती हैं. जब मायावती राज्यसभा की सांसद थीं, तब संसद के गलियारे में भी फुले ने बहनजी से मिलकर उनसे बसपा में शामिल होने की इच्छा जताई थी, हालांकि तब मायावती ने उन्हें अपने सांसद का कार्यकाल खत्म करने का सुझाव दिया था. मायावती और बहुजन समाज पार्टी को लेकर सावित्री बाई फुले का झुकाव कोई नया नहीं है, बल्कि फुले का मायावती से पुराना लगाव रहा है. हम आपको बताते हैं कि आखिर क्या है, सावित्री बाई फुले का मायावती कनेक्शन.
सावित्री बाई फुले कई मामलों में बसपा प्रमुख को फॉलो करती हैं. मसलन उनकी कद-काठी से लेकर हेयर स्टाइल तक बसपा प्रमुख जैसा ही हैं. फुले ने भी संन्यास ले लिया है और बहुजन आंदोलन के हित के लिए अपना जीवन देने की घोषणा कर चुकी हैं.
बहरहाल राजनीति से इतर सावित्री बाई का जीवन भी संघर्षों भरा रहा है. जब वह 6वीं में थीं तो उनके शिक्षक ने उनका वजीफा हड़प लिया और विरोध करने पर उन्हें स्कूल से बाहर कर दिया. दिलचस्प बात ये है कि तब उन्हें बसपा सुप्रीमो मायावती से सीधे बड़ी सहायता मिली थी.
सावित्री बाई फुले ने एक इंटरव्यू में एक घटना का जिक्र किया था. फुले के मुताबिक, “जब मैं कक्षा 6 पास हुई थीं. तब मुझे 480 रुपए वजीफा मिला था. पहले छात्रवृत्ति खाते में नहीं आती थी. मास्टर के खाते में आती थी. मैंने उनसे वजीफा मांगा लेकिन उन्होंने कहा कि चूंकि मैंने तुम्हें पास किया है, इसलिए मैं वजीफा नहीं दे सकता. यही नहीं उन्होंने मेरा नाम काटकर स्कूल से भगा दिया. साफ कह दिया कि मैं नहीं पढ़ाऊंगा.”
इसके बाद मजबूरन सावित्री बाई फुले की पढ़ाई रुक गई. सावित्री ने एक इंटरव्यू में कहा था, “इसके बाद अचलेंद्र नाथ कनौजिया मुझे लखनऊ लेकर गए. उस समय मायावतीजी यूपी की मुख्यमंत्री थीं. वहां मुझे जनता दरबार में पेश किया गया. इसके बाद मैंने सीधे मायावती जी से बात की. मैंने उनसे कहा कि मेरे टीचर ने नाम काट दिया है. कई सालों से मैं घर बैठी हूं. अब आगे पढ़ना चाहती हूं. इसके बाद मायावतीजी ने उनसे पूछा कि कहां पढ़ना चाहती हैं? इस पर मैंने बताया कि नानपारा के इंटर कॉलेज में पढ़ना चाहती हूं. इसके बाद मायावती ने तुरंत डीएम को फोन किया और डीएम से मेरी टीसी, मार्कशीट मंगवाई और सीधे मेरा एडमिशन इंटर कॉलेज में करवा दिया.”
भाजपा छोड़ने के बाद अब फुले एक बड़ी रैली की तैयारी में हैं जहां वह अपनी आगामी रणनीति का खुलासा करेंगी. देखना यह होगा कि आखिर उनकी यह रणनीति क्या होगी. और यह बसपा और बसपा प्रमुख मायावती के कितने करीब होगी.
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आप मेरे विचारो से सहमत हो या नहीं पर में अपने विचार प्रकट करने का अधिकार रखता हूं।,,,,,,इसी संदर्भ में संक्षेप में दलित दस्तक के माध्यम से बहन जी तक बात पहुंचना चाहता हूं कि जिस परकार काशीराम जी ने बाबा साहब मिशन को आगे ले जाने के लिए आपको आगे बढ़ाया ओर बीएसपी एक मजबूत मंच बना । आप भी बहुजनो की आशाओं के अनुरूप आपके पीछे दूसरी पंक्ति तेयार कीजिए जिसमें कम से कम 5 राजनीतिज्ञ हो जो हर क्षेत्र में माहिर हो जिनमें बहुजन भरोसा कर सके ओर आज उन्हें लोग जाने पहचाने ओर आपकी अनुपस्थिति में बीएसपी को उनमें से उतराधिकारी मिले । ओर हर राज्य में काम से कम कोई मजबूत नेता ओर पार्टी चेहरा तो हो जो मिशन को आगे बढ़ाए ओर शासन सता तक पहुंचे। आज यूपी को छोड़ दे तो पूरे भारत में बहुजन इन्तजार में। जकी बीएसपी का मजबूत सतंभ यहां भी तेयार हो ओर अपना अमूल्य मत अपनी पार्टी को दे। बीएसपी में सावित्रीबाई, चन्द्र शेखर , मेवानी जैसे अनेक युवा नेता जिनको पार्टी में लेकर बीएसपी की दूसरी पंक्ति मजबूत करे। ओर बहूजनो की आवाज बनकर बहन जी हर मुद्दे पर उनके हितों के लिए खड़ी रहे। ओर मजबूत पार्टी ओर नेतृत्व के लिए बहनजी को जमीनी स्तर पर उतरना पड़ेगा चुनाव के समय बाहर निकलने से काम नहीं चलेगा।