नई दिल्ली। खुफिया एजेंसियों की एलर्ट के बाद गृह मंत्रालय ने भारत-चीन सीमा पर तैनात जवानों को अपने मोबाइल से एप्लीकेशन डिलीट करने के लिए कहा है. जानकारी के मुताबिक ऐसे 42 मोबाइल एप की एक लिस्ट जारी की गई है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है. इन एप्स को इस्तेमाल न करने के लिए एक एडवाइजरी भी जारी की गई है.
इन मोबाइल एप में वेब चैट, ट्रूकॉलर, यूसी ब्राउजर, यूसी न्यूज जैसे एप शामिल हैं, आशंका जताई जा रही है कि जवानों के मोबाइल में यह एप होने से खुफिया जानकारी लीक हो सकती है और जासूसी के लिए इनका इस्तेमाल किया जा सकता है. जानकारी के मुताबिक यह एप चीनी डेवलपर्स ने तैयार किए हैं.
एडवाइजरी के मुताबिक मोबाइल में पहले से ही डाउनलोड एप्लीकेशन का प्रयोग न करने और ऐसे एप को तुरंत अनइंस्टॉल कर मोबाइल से फॉर्मेट करने के लिए कहा गया है. सेना के अलावा लद्दाख से अरुणाचल तक फैली 4 हजार किमी की सीमा पर ITBP जैसे केंद्रीय पुलिस बल के जवान भी तैनात हैं. इन जवनों को पहले में साइबर सुरक्षा से जुड़े निर्दश दिए जाते रहे हैं.
ये हैं वो खतरनाक ऐप्स
40 एप्स की जो सूची जारी की है, उनमें वीबो, वीचैट, शेयरइट, ट्रूकालर, यूसी न्यूज, यूसी ब्राउसर, ब्यूटी प्लस, न्यूजडोग, वीवा वीडियो-क्यू वीडियो, आईएनसी, पैरालल स्पेश, अपुस ब्राउसर, परफेक्ट कार्प, वायरस क्लीनर-हाई सिक्योरिटी लैब, सीएम ब्राउसर, एमआई कम्युनिटी, डयू रिकॉर्डर, वाल्ट हाइड, यूकैम मेकअप, एमआई स्टोर, कैचक्लीनर डयू एप्स, डयू बैटरी सेवर, डयू क्लीनर, डयू प्राइवेसी, 360 सिक्योरिटी, डयू ब्राउसर, क्लीन मास्टर-चीता मोबाइल, बैडू ट्रांसलेट, बैडू एप, वंडर कैमरा, ईएस फाइल एक्सप्लोरर, फोटो वंडर, क्यूक्यू इंटरनेशनल, क्यूक्यू म्यूजिक, क्यूक्यू मेल, क्यूक्यू प्लेयर, क्यूक्यू न्यूजफीड, क्यूक्यू सिक्योरिटी, सेल्फी सिटी, मेल मास्टर, एमआई वीडियो कॉल और क्यूक्यू लांचर शामिल हैं।
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।