नए संसद भवन का उद्घाटन वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से कराए जाने को मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस पार्टी ने भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। साथ ही संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को निमंत्रण तक नहीं देने को भी कांग्रेस पार्टी ने बड़ा मुद्दा बना दिया है।
दरअसल पीएम मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन का शिलान्यास किया था। तब तात्कालिन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को निमंत्रण नहीं दिया गया था। अब जब 28 मई को नए संसद भवन का लोकार्पण हो रहा है, मोदी सरकार ने वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी निमंत्रण नहीं भेजा है। इसको लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी और आरएसएस पर तीखा हमला बोला है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा-आरएसएस के दलित और आदिवासी प्रेम को महज दिखावा ठहराया है।
शिलान्यास में तत्कालिन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उद्धाटन समारोह में वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को नहीं बुलाए जाने को मुद्दा बनाते हुए खड़गे ने एक के बाद एक चार ट्विट कर सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन वर्तमान राष्ट्रपति से कराने की मांग का समर्थन करते हुए कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार दलित और जनजातीय समुदायों को राष्ट्रपति केवल चुनावी वजहों से बनाती है।
मल्लिकार्जुन खड़गे का तर्क है कि संसद भारत गणराज्य की सर्वोच्च लेजिस्लेटिव बॉडी है और राष्ट्रपति इसका सबसे बड़ा संवैधानिक अथॉरिटी है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु देश की प्रथम नागरिक हैं। वह सरकार और विपक्ष के साथ ही देश की हर नागरिक का प्रतिनिधित्व करती हैं। अगर नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति करतीं तो यह लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सरकार के कमिटमेंट का प्रतीक होता। ये तमाम आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह इसे बड़ा मुद्दा बनाने जा रही हैं।
बता दें कि 28 मई की जिस तारीख को भाजपा सरकार ने नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए चुना है, उसको लेकर भी कांग्रेस ने विरोध दर्ज कराया है। दरअसल इस दिन विनायक दामोदर सावरकर की जयंती होती है। सावरकर हिन्दू राष्ट्र के समर्थक थे और सावरकर को भाजपा अपना नायक मानती है। कांग्रेस ने इसे भी मुद्दा बनाते हुए इसे देश के नायकों का अपमान बताया है। नया संसद भवन 28 महीने में बनकर तैयार हो चुका है। नए चार मंजिला नए संसद भवन में लोकसभा के 888 और राज्यसभा के 384 सदस्य बैठ सकेंगे।
जाहिर है कि कांग्रेस के तमाम विरोध के बावजूद 28 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही इसका उद्घाटन करेंगे, क्योंकि राजनीति में पत्थर पर नाम लिखवाना सबसे नेताओं का प्रिय शौक होता है। वर्तमान सरकार को देश का नया इतिहास ही लिखना चाहती है। लेकिन राष्ट्रपति को इस कार्यक्रम से दूर रखकर भाजपा खुद ही एक्सपोज हो गई है। और यह साफ हो गया है कि उसका दलित और आदिवासी प्रेम महज एक दिखावा है। देखना होगा कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को 2024 चुनावों से पहले कितना बड़ा बना पाती है। अगर कांग्रेस पार्टी के साथ ही वंचित समाज को केंद्र में रखकर राजनीति करने वाली बहुजन समाज पार्टी ने भी इसे बड़ा मुद्दा बना दिया तो 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है।
सिद्धार्थ गौतम दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र हैं। पत्रकारिता और लेखन में रुचि रखने वाले सिद्धार्थ स्वतंत्र लेखन करते हैं। दिल्ली में विश्वविद्यायल स्तर के कई लेखन प्रतियोगिताओं के विजेता रहे हैं।