ब्रिटेन के मीडिया संस्थान Financial Times और The Guardian ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मित्र कारोबारी गौतम अडानी को लेकर एक बड़ा धमाका किया है। इस मीडिया संस्थान में अडानी समूह के फ्रॉडगिरी पर दो बड़ी रिपोर्ट आई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अडानी ग्रुप ने गुपचुप तरीके से खुद अपने शेयर खरीदकर स्टॉक एक्सचेंज में लाखों डॉलर का निवेश किया। यह रिपोर्ट ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) की रिपोर्ट के आधार पर किया गया है।
रिपोर्ट मे अडानी ग्रुप के मॉरीशस में किये गए ट्रांजैक्शंस की डीटेल का पहली बार खुलासा करने का दावा किया गया है। कहा गया है कि ग्रुप की कंपनियों ने 2013 से 2018 तक गुपचुप तरीके से अपने शेयरों को खरीदा। जांच में सामने आया है कि कम से कम दो मामले ऐसे हैं जहां निवेशकों ने विदेशी कंपनियों के जरिये अडानी ग्रुप के शेयर खरीदे और बेचे हैं।
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयर तेजी से नीचे गिरे हैं। हिंडेनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी 2.0 कि यह फाइल चीख-चीख कर बता रही है कि मॉरीशस में फर्जी शेल कंपनियां चला रहे Chang Ching Ling और दुबई के Nasser Ali Shaban Ahil साल 2013 से अपना ब्लैक मनी और हवाला का पैसा अपनी कंपनियों में लगा रहे हैं। अडानी बंधुओं यानी गौतम अडानी और विनोद अडानी के जरिये मॉरीशस, the British Virgin Islands, UAE देशों में शेल कंपनियाँ बनाईं गईं। ये शेल कंपनियाँ Adani की कंपनियों से लिंक थीं। क्योंकि ये दोनों ही चीनी (ताइवानी) और UAE के एजेंट Adani से जुड़ी कंपनियों में डायरेक्टर रहे हैं।
इसे लिखते समय पत्रकारों ने अदानी समूह के काले कारनामों की तमाम फाइलें खोज निकाली। यहां तक कि अदानी समूह की आंतरिक ईमेल तक। सारे दस्तावेजी सबूत भारत के बिके हुए दलाल गोदी मीडिया को नहीं, बल्कि ब्रिटेन के द गार्जियन और फाइनेंशियल टाइम्स को दिए गए। OCCRP की रिपोर्ट कहती है कि अदानी के 75% शेयर्स मॉरीशस में बैठे इन दो लोगों के हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक दूसरे शब्दों में कहें तो गौतम अदानी की दौलत का 75% काला धन है।
हालांकि अडानी समूह ने एक बयान जारी कर इन तमाम आरोपों से इंकार किया है।
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।