नई दिल्ली। यूपीएससी और सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी कर रहे आदिवासी छात्र दीपक मीणा की संदिग्ध मौत मामले में विकास दिव्यकीर्ति के दृष्टि आईएएस कोचिंग संस्थान ने लिखित सफाई जारी की है। दृष्टि ने इस मामले में संस्थान की किसी भी तरीके की जिम्मेदारी और भूमिका से इंकार किया है। दूसरी ओर, दिल्ली युनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर और आदिवासी समाज के डॉ. जितेन्द्र मीणा ने इस मामले में दृष्टि प्रबंधन की लापरवाही को लेकर निशाना साधा है।
जानिए क्या था मामला
दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर में एक सुनसान जगह पर झाडि़यों में यूपीएससी की मुख्य परीक्षा देने की तैयारी में जुटे दीपक मीणा का शव पेड़ से लटका मिला था। पुलिस को घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। बताया जा रहा है कि वह गत 11 सितंबर से गायब था। परिवारवालों ने 14 सितंबर को इस संबंध में मुखर्जी नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। 10 दिन बाद 22 सितम्बर को दीपक का शव मिला था। इस मामले में परिजनों एवं दलित नेताओं व एक्टिविस्टों ने हत्या की आशंका जताते हुए दिल्ली पुलिस से मामले की जांच की मांग की है। छात्र दीपक मीणा की संदिग्ध मौत के मामले में यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्रों ने मंगलवार शाम को नेहरू विहार से मुखर्जी नगर के बत्रा सिनेमा तक कैण्डल मार्च निकाला।
इस संबंध में दिल्ली युनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर जितेन्द्र मीणा के दृष्णि कोचिंग की लापरवाही पर सवाल उठाने के बाद दृष्टि कोचिंग ने सफाई दी है। विकास दिव्यकीर्ति के संस्थान दृष्टि कोचिंग ने एक बयान जारी कर लिखा-
- हम सिविल सेवा परीक्षा के अभ्यर्थी दीपक कुमार मीणा के असामयिक निधन पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये हम इस प्रसंग से जुड़े प्रमुख तख्य प्रकाशित करना चाहते हैं जो कि निलिखित हैं।
- दीपक कुमार मीणा मुख्य परीक्षा 2024 की तैयारी के लिये 10 जुलाई 2024 से हमारे साथ जुड़े थे।
- 10 सितंबर तक लाइब्रेरी में आकर पढ़ाई कर रहे थे। उन्होंने तैयारी के लिये बहुत प्रभावशाली नोट्स बनाए थे। जुलाई और अगस्त में उन्होंने कई टेस्ट दिये थे। उन्हें प्रत्येक टेस्ट में अच्छे अंक मिले थे। पहला प्रयास होने के बावजूद उनकी तैयारी काफी अच्छी चाल रही थी। बहुत संभावना थी कि उनका चयन पहले ही प्रयास में हो जाएगा। उन्हें भी खुद पर इतना भरोसा था।
- 11 सितंबर की सुबह वे अपने पीजी के साथियों के साथ लाइब्रेरी नहीं आए। दोस्तों ने पूछा तो उन्होंने कहा कि बाद में आएंगे, लेकिन उसके बाद से उनसे कोई संपर्क नहीं हुआ।
- 13 सितंबर को दीपक के रूममेट ने हमारी टीम को बताया कि दीपक 1 तारीख से पीजी नहीं लौटे और फोन भी नहीं उठा रहे हैं। सूचना मिलते ही हमारी टीम कोऑर्डिनेटर ने दीपक के नंबर पर कई बार फोन किया, लेकिन फोन नहीं उठा। इसके तुरंत बाद हमारी टीम द्वारा दीपक के परिवार को सूचना दी गई। वे भी इस बात से परेशान थे कि दो दिनों से दीपक से संपर्क नहीं हो पा रहा है।
- अगले दिन (14 सितंबर को दीपक के परिवार जन दिल्ली आए और उनके द्वारा पुलिस में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई गई। इस समय तक दीपक का फोन स्विच ऑफ हो चुका था।
- 14 सितंबर में इस मामले की जाँच दिल्ली पुलिस के हाथ में है। 15 सितंबर को दीपक के परिवार की उपस्थिति में हमारी टीम ने पुलिस की लाइब्रेरी की सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराई। दीपक के मित्रों व परिचितों से भी पूछताछ की गई। आस-पास के कई अन्य स्थानों से अधिकारियों ने फुटेज एकत्रित की, पर सभी प्रवासों के बाद भी कोई ठोस सुराग नहीं मिला।
- आखिरी उम्मीद यह थी कि 20 सितंबर की शुरू होने वाली मुख्य परीक्षा में शामिल होने के लिये दीपक अपने परीक्षा केंद्र पर पहुंचेगे। पुलिस की टीम और परिवार के सदस्य वहाँ मौजूद थे पर दीपक वहाँ नहीं पहुँचे। उसके बाद पुलिस टीम ने उनके फोन की आखिरी लोकेशन के आधार पर नजदीकी इलाकों में खोज की तो मुखर्जी नगर से सटे दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रावास के अंदर झाडि़यों में उनका शव मिला।
- दीपक कुमार मीणा ने कभी भी किसी तरह के तनाव या दबाव की शिकायत अपने मेटर्स से नहीं की। उनके मेंटर्स और मित्रों की राय में दीपक अंतर्मुखी विद्यार्थी थे। किसी के साथ उनका विवाद वा झगड़ा होने की संभावना नहीं के बराबर थी।
. @drishtiias– प्रमुख @VikasDivyakirti जी, आपके संस्थान के एक छात्र दीपक मीणा का शव आपकी लाइब्रेरी के नज़दीक के जंगल में लगभग 10 दिनों बाद छत विक्षत स्थिति में मिला हैं।
आप इस केस से भली भाँति वाक़िफ़ हैं लेकिन पिछले इन 14 दिनों में आपने दीपक की खोज में “एक व्हाट्सप मैसेज” के… pic.twitter.com/1jNvikPD4R
— Dr Jitendra Meena (@JitendraMeenaDU) September 24, 2024
दृष्टि की सफाई पर उठे सवाल
इस मामले में आवाज उठाने वाले एक्टिविस्ट व प्रोफेसर जितेंद्र मीणा ने दलित दस्तक से कहा कि, दृष्टि आईएएस प्रबंधन अपनी जिम्मेदारी से बचना चाहता है। दृष्टि प्रबंधन ने ही छात्र दीपक मीणा को मेंटरशिप के लिए दिल्ली बुलाया था। यह संस्थान की जिम्मेदारी थी कि अगर छात्र क्लास व लाइब्रेरी में कई दिनों से नहीं आ रहा था तो इसकी जांच करता। समय रहते पुलिस को छात्र की गुमशुदगी की सूचना देता। पूरे मामले में संस्थान द्वारा ऐसा कुछ भी नहीं किया गया। संस्थान की भूमिका की भी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार
इस मामले की जांच में जुटी पुलिस ने बताया कि जिस जगह पर दीपक शव मिला है, वह दीपक के इंस्टीट्यूट की लाइब्रेरी से कुछ ही दूरी पर है। पुलिस ने शनिवार को पोस्टमॉर्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया था। वहीं विसरा जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया है। अभी तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट आने के बाद मौत के सही कारणों का पता चल सकेगा।
पढ़ाई में होशियार था दीपक
मृतक छात्र के पिता चंदूलाल ने बताया कि दीपक ने यूपीएससी का ऑनलाइन कोर्स लेकर जयपुर में रहकर इसी साल प्री एग्जाम पास किया था। इंस्टीट्यूट ने मेंस की तैयारी के लिए दिल्ली बुलाया था। दीपक जुलाई महीने से दिल्ली स्थित मुखर्जी नगर में पीजी में रहकर कोचिंग में पढ़ाई कर रहा था।
सिद्धार्थ गौतम दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र हैं। पत्रकारिता और लेखन में रुचि रखने वाले सिद्धार्थ स्वतंत्र लेखन करते हैं। दिल्ली में विश्वविद्यायल स्तर के कई लेखन प्रतियोगिताओं के विजेता रहे हैं।