बिहार में सियासी खेल अब भी जारी हैं। बोचहां विधानसभा क्षेत्र में होनेवाले उपचुनाव को लेकर पहले तो मुकेश सहनी ने एनडीए में रहते हुए भाजपा को आंख दिखाते हुए राजद के कद्दावर मंत्री रहे रमई राम की बेटी डॉ. गीता राम को अपना उम्मीदवार बना दिया। वहीं अब उनकी पार्टी के तीन विधायकों ने मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी को छोड़ दिया है और अपना समर्थन भाजपा को दे दिया है। इन तीन विधायकों में एक मिश्रीलाल यादव भी शामिल हैं।
अब सवाल उठता है कि मुकेश सहनी का क्या होगा? वजह यह कि मुकेश सहनी फिलहाल बिहार सरकार में मंत्री हैं? अब जबकि उनके विधायकों ने पाला बदल लिया है तो क्या वे मंत्री पद से इस्तीफा देंगे?
दरअसल, भाजपा मुकेश सहनी से लगातार नाराज चल रही है। उसकी यह नाराजगी तब से है जब यूपी चुनाव में मुकेश साहनी ने अपने उम्मीदवार उतारे। तब भाजपा ने इसे गठबंधन धर्म का अपमान करार दिया था। हालांकि भाजपा ने जदयू के द्वारा यूपी में अलग होकर चुनाव लड़ने के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं की थी। इसकी वजह संभवत: यह कि मुकेश सहनी प्रारंभ से ही एनडीए के सबसे कमजोर कड़ी रहे क्योंकि वह स्वयं विधानसभा का चुनाव जीत नहीं सके थे और एनडीए ने इसके बावजूद उन्हें मंत्री पद दिया था।
अब ऐसे में भाजपा जो कि बिहार में एनडीए का सबसे बड़ा घटक दल है, उसे विश्वास था कि मुकेश सहनी भाजपा को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे। लेकिन मुकेश सहनी की पहचान एक महत्वाकांक्षी राजनेता की रही है। वे अपने आधार मतदाताओं को हर हाल में अपने पास रखना चाहते हैं, तो ऐसे में उन्होंने चुपचाप मंत्री पद पर बने रहने की बजाय राजनीति को तवज्जो दी।
इस बीच कई बार ऐसे मौके आए जब लगा कि मुकेश सहनी राजद के साथ चले जाएंगे। लेकिन राजद ने तो उनके लिए पहले ही अपने दरवाजे बंद कर लिया था। बोचहां उपचुनाव में ही राजद ने मुकेश सहनी को बड़ा झटका देते हुए उसके उम्मीदवार अमर पासवान को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया।
बहरहाल, मुकेश सहनी का क्या होगा, यह तो आनेवाला समय ही बताएगा। परंतु, बिहार की राजनीति में जिस तरह से भाजपा अपना कद बढ़ाते जा रही है, वह नीतीश कुमार के लिए खतरे की घंटी ही है।
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