भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले पहले भी होते रहे हैं। खासकर दलित-बहुजन पत्रकारों पर। लेकिन मध्य प्रदेश में एक ऐसी घटना सामने आयी है, जो अलग हटकर है। दरअसल पुलिस महकमे ने एक पत्रकार और उसके अन्य पत्रकार साथियों को न केवल 18 घंटे तक हाजत में बंद रखा, बल्कि उन्हें अधनंगा कर थाना परिसर में घुमाया। बाद में उन्हें इस हिदायत के साथ छोड़ा गया कि यदि अगली बार भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ल के खिलाफ कोई खबर लिखोगे तो पूरे शहर में नंगा करके घुमाया जाएगा।
गौर तलब है कि दलित-बहुजन पत्रकारों के उत्पीड़न की खबरें आए दिन आती रहती हैं। लेकिन जो सवर्ण पत्रकार मोदी के नाम का राग अलापते रहते हैं उनके साथ ऐसे सुलूक से सभी सकते में हैं। इस तरह की घटना को नये परिदृश्य में भी देखा जा रहा है। हालांकि इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि पत्रकार चाहे किसी भी जाति अथवा मजहब का हो, उसकी स्वतंत्रता अक्षुण्ण रखी जानी चाहिए और यदि इसका उल्लंघन हो तो इसका कड़ा प्रतिवाद आवश्यक है।
लेकिन मध्य प्रदेश के लिहाज से देखें तो यह अलग तरह की घटना है। दरअसल, कनिष्क तिवारी मध्य प्रदेश के सीधी जिले में खबरिया यूट्यवूब चैनल चलाते हैं। बीते दिनों उन्होंने एक स्थानीय भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ल के खिलाफ कुछ खबरें अपने यूट्यूब चैनल पर चला दीं। फिर स्थानीय पुलिस थाने के मुखिया ने दल-बल के साथ कनिष्क तिवारी के दफ्तर पर धावा बोला और उन्हें व उनके सभी साथियों को थाना लाकर हाजत में बंद कर दिया।
कनिष्क ने बताया है कि पुलिस ने उनके साथ मारपीट की। इसके अलावा उन्हें अधनंगा कर थाने में घुमाया गया। इतना ही नहीं, पुलिस थाने के प्रमुख ने अपने मोबाइल से सभी द्विज पत्रकारों की अधनंगी फोटो खींची और स्थानीय विधायक को भेज दी। कनिष्क के मुताबिक यह इसलिए किया गया ताकि विधायक को यह विश्वास हो कि उनके कहने पर पुलिस ने अपनी कार्रवाई को अंजाम दिया है। कनिष्क ने यह भी बताया कि उन्हें इस शर्त के साथ छोड़ा गया है कि अब वे केदारनाथ शुक्ल के खिलाफ कोई रिपोर्टिंग नहीं करेंगे।
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