आपने वे तस्वीरें अवश्य देखी होंगी जब काशी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गंगा स्थान कर रहे थे। लेकिन क्या आपको पता है कि गंगा के जिस पानी में वह स्नान करते दीख रहे हैं, वह एक खास तरह का शोधित पानी है जो कि खास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए गंगा में केवल उस घाट पर छोड़ा गया था, जहां उन्हें स्नान करना था? अब इसकी पोल खोली है समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने।
उन्होंने जो कुछ अपने ट्वीट में बताया है, उसके मुताबिक बनारस के रविदास घाट पर गंगा का पानी इतना गंदा है है कि यदि कोई व्यक्ति, जिसकी रोगों से लड़ने की क्षमता औसत से कम है तो वह स्किन कैंसर का शिकार हो सकता है।
दरअसल, अखिलेश यादव ने यह संदेश प्रत्यक्ष रूप से जारी नहीं किया है। लेकिन उन्होंने विश्वमभर नाथ मिश्रा जो कि बनारस के ही रहनेवाले हैं और नदियों के जल की गुणवत्ता पर काम करते हैं, के हवाले से कहा है कि बनारस के रविदास घाट पर गंगा के पानी गुणवत्ता बेहद खराब है।
तकनीकी स्तर पर बात करें तो रविदास घाट पर गंगा के पानी में फीकल कोलिफोम की मात्रा दो करोड़ चालीस लाख के करीब दर्ज किया गया है। जल वैज्ञानिकों के मुताबिक पानी में यदि फीकल कोलिफोम की मात्रा 500 रहे तभी स्नान के योग्य है। स्वच्छ पेयजल में इसकी मात्रा 75 से अधिक नहीं होनी चाहिए।
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बहरहाल, अखिलेश यादव ने गंगा के पानी की गुणवत्ता को सामने लाकर केंद्र सरकार के नमामि गंगे योजना के क्रियान्वयन और खासकर बनारस में गंगा के नाम पर मचायी गयी लूट को सार्वजनिक कर दिया है। लेकिन बड़ा सवाल तो यही है कि जो लोग इतने अंधविश्वासी हैं कि इतने गंदे पानी में भी स्नान करने को धार्मिक कर्मकांड मानते हैं, वे उन रैदास की बानी को कब समझेंगे कि मन चंगा तो कठौती में गंगा?
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