Thursday, April 24, 2025
HomeTop Newsगोरखपुर सीट पर आया बड़ा ट्विस्ट, निषाद पार्टी का गठबंधन को झटका

गोरखपुर सीट पर आया बड़ा ट्विस्ट, निषाद पार्टी का गठबंधन को झटका

गठबंधन की घोषणा के दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ संजय निषाद (फाइल फोटो, फोटो क्रेडिटः HT)

लखनऊ। यूपी के सीएम और पूर्वांचल में भाजपा के बड़े चेहरे योगी आदित्यनाथ को एक बार फिर से गोरखपुर में हार का डर सताने लगा है. पिछले उपचुनाव में मिली हार के बाद योगी की काफी फजीहत हुई थी. कहा गया कि भाजपा का पूर्वांचल में सबसे मजबूत किला दरकने लगा है. यही वजह है कि 2019 आम चुनाव में गोरखपुर सीट को लेकर योगी कोई चूक करने को तैयार नहीं है. बड़ी खबर यह है कि सपा-बसपा-रालोद महागठबंध में शामिल होने के दो दिन बाद ही निषाद पार्टी ने खुद को गठबंधन से अलग कर लिया है. अलग होने के बाद निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की है. निषाद पार्टी के इस कदम से जहां सपा-बसपा हैरान हैं तो वहीं इससे गोरखपुर सीट पर नया समीकरण बनता दिख रहा है.

दरअसल निषाद पार्टी के गठबंधन में शामिल होने के बाद योगी को एक बार फिर गोरखपुर में हार का डर सताने लगा था. इसकी वजह यह है कि इस लोकसभा सीट पर निषाद वोट काफी अहम है. इसी वोट के जरिए योगी के यूपी के सीएम बनने के बाद खाली हुई इस सीट पर सपा अध्य़क्ष अखिलेश यादव ने संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को मैदान में उतारा था, जिसके बाद बसपा के समर्थन से प्रवीण निषाद ने जीत हासिल की थी. सपा-बसपा एक बार फिर इस सीट पर योगी को मात देने की तैयारी में जुटे थे. लेकिन ऐन वक्त पर संजय निषाद के इस कदम से भाजपा बढ़त लेती हुई दिखने लगी है. भाजपा पहले ही निषाद समाज के एक अन्य कद्दावर नेता रहे दिवंगत जमुना प्रसाद निषाद के परिवार को पार्टी में शामिल कर चुकी है.

23 साल बाद एक बार फिर भाजपा ने जमुना प्रसाद निषाद की पत्नी और पूर्व विधायक राजमति निषाद और उनके बेटे अमरेन्द्र निषाद को पार्टी में शामिल कर लिया है. इस परिवार के कद का अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि सन् 1999 के लोकसभा चुनाव में जमुना प्रसाद निषाद ने भाजपा के योगी आदित्यनाथ को कड़ी टक्कर दी थी और वह मात्र तकरीबन 7 हजार वोटों से चुनाव हार गए थे. हालांकि उनकी मृत्यु के बाद यह परिवार समाजवादी पार्टी के साथ चला गया था. लेकिन मार्च के दूसरे हफ्ते में इसने एक बार फिर भाजपा का दामन थाम लिया था.

भाजपा यह मानकर चल रही है कि निषाद समाज के दोनों प्रमुख नेताओं को अपने पाले में लाकर वह गोरखपुर में अब निषाद समाज को भाजपा के पक्ष में एकजुट कर सकती है. अब देखना यह होगा कि भाजपा की इस रणनीति की काट मायावती और अखिलेश यादव कैसे निकालते हैं. गठबंधन के तरह गोरखपुर की सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई है.

लोकप्रिय

अन्य खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Skip to content