ग्राम प्रधान सुमन यादव द्वारा ग्राम पंचायत सचिव आलोक चौधरी को हटाने की मांग को लेकर लिखी गई चिट्ठी का खुलासा होने पर मामले ने तूल पकड़ लिया है. खबर सामने आने के बाद पंचायत सचिव आलोक चौधरी सामने आए हैं. आलोक ने जो बयान दिया है वह प्रधान को झूठा ठहराता है. ‘दलित दस्तक’ से बातचीत में उन्होंने अपनी पीड़ा बताते हुए इस बात की पुष्टि की कि दलित होने के नाते मेरे साथ बुरा बर्ताव किया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधान की तरफ से लिखे गए पत्र में उन्हें जाति सूचक शब्दों के साथ संबोधित किया गया है.
प्रधान मुझे दलित जाति का बताकर ग्राम पंचायत में कार्य करने के लिए तैयार नहीं है. आलोक ने कहा कि अगर वो अपने काम में लापरवाही बरत रहे होते या फिर स्थानीय लोगों में उनके काम को लेकर नाराजगी होती तो उन्हें हटाया जा सकता था, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है. मुझे सिर्फ इसलिए हटाने को कहा जा रहा है क्योंकि मैं दलित जाति से हूं. इसी वजह से मेरे साथ लगातार बुरा बर्ताव किया जा रहा है. आलोक चौधरी ने बताया कि वो इससे आहत हैं और न्याय पाने के लिए मुख्यमंत्री से लेकर एससी/एसटी आयोग और कोर्ट जाएंगे. उन्होंने कहा कि वो प्रधान के खिलाफ मानहानि का दावा भी करेंगे. चौधरी ने रोष जताते हुए कहा कि ऐसे लोगों को प्रधान पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है. मामला सामने आने के बाद अब प्रशासन भी चौकन्ना हो गया है. जो प्रशासन पहले प्रधान के साथ खड़ा दिख रहा था, वो अब संविधान और संवैधानिक दायरे की बात करने लगा है. स्थानीय सीडीओ प्रशांत शर्मा ने इस संबंध में प्रधान को चेतावनी दी है. उन्होंने प्रधान को पत्र लिखकर कहा है कि संवैधानिक पद पर रहते हुए ऐसी भाषा का प्रयोग अशोभनीय है. अगर सेक्रेटरी चाहे तो एफआईआर दर्ज करा सकता है. सेक्रेटरी की पूरी मदद की जाएगी.
गौरतलब है कि लखनऊ के सरोजनी नगर के भटगांव की ग्राम प्रधान सुमन यादव ने मुख्य विकास अधिकारी को चिट्ठी लिखकर भटगांव ग्राम पंचायत सचिव आलोक चौधरी को हटाने की मांग की थी. प्रधान ने चिट्ठी में लिखा था कि हमारी ग्राम सभा भटगांव में ग्राम पंचायत सचिव अनुसूचित जाति दलित च..र जाति तैनात है, जिससे हमें कार्य करने में बाधा उत्पन्न हो रही है इसलिए हमारी ग्राम पंचायत भटगांव में कोई सवर्ण या पिछड़ी जाति का सचिव तैनात करने का कष्ट करें.

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