
मैं अपनी जिंदगी की लड़ाई हार गया। यह आखिरी संदेश है।
आज बहुत कुछ सोचने समझने के बाद मैंने यह फैसला लिया है कि यह दुनियां मेरे किसी काम की नहीं है। मैंने अपनी क्षमता के हिसाब से जितना लोगों की मदद कर सकता था उतना मदद करने का प्रयास किया और कई बार तो अपनी क्षमता के ऊपर भी जाकर लोगों का मदद किया। जिसके कारण मेरे हजारों राजनैतिक और सामाजिक दुश्मन बनें फिर भी मैंने समाज के शोषित, वंचित, और निर्बलों की आवाज को बुलंद करने का काम लगातार जारी रखा। इस बीच मुझे कई बार फर्जी मुकदमे भी झेलने पड़े और कई बार जेल भी जाना पड़ा फिर भी मैंने अपने कदम को रुकने नहीं दिया और लगातार लोगों की मदद करता है।
अब आते हैं मुख्य बिंदु पर की आखिर मुझे यह फैसला क्यों लेना पड़ा तो आप सबको अवगत कराना चाहता हूँ कि मैं लगभग पिछले 10 वर्ष से डॉ. संजय कुमार निषाद कैबिनेट मंत्री (मत्स्य विभाग) उत्तर प्रदेश सरकार के साथ सामाजिक और राजनैतिक संगठन जैसे कि राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद् और निषाद पार्टी के विभिन्न पदों पर रहते हुए कार्य कर रहा था। जिसमें पिछले 10 वर्ष से मैंने कभी अपने परिवार को समय नहीं दिया जितना कि मैंने डॉ. संजय कुमार निषाद और उनके परिवार के लोगों के साथ-साथ समाज को समय दिया।
इस बीच मैंने उत्तर प्रदेश के लगभग 40-50 जिलों में संगठन और पार्टी के लिए कार्य किया जिसके वजह से निषाद

समाज के युवाओं के साथ-साथ अन्य वर्ग के भी युवाओं में मेरी लोकप्रियता बढ़ती गई। जिसके कारण डॉ. संजय कुमार निषाद और उनके बेटों की बेचैनी बढ़ने लगी कि आखिर यह एक साधारण सा लड़का इतना ज्यादा चर्चित और लोकप्रिय कैसे होता जा रहा है। इसी बात को लेकर पिछले दो सालों से डॉ. संजय कुमार निषाद और उनके बेटों ने मेरे खिलाफ सामाजिक और राजनैतिक रूप से षड्यंत्र करते हुए मुझे पहले तो कमजोर करने का प्रयास किया फिर मेरे ही साथ के युवा साथियों को भड़काने व मेरे खिलाफ खड़ा करने के लिए तरह-तरह के प्रलोभन देने के साथ-साथ मुझे और मेरे टीम के साथियों को फर्जी मुकदमे में फंसाने का तरह-तरह का प्रयास करने लगे।
इसी बीच मनीष निषाद नाम के एक लड़के को मेरे खिलाफ भड़काकर मुझसे मारपीट करने के लिए उकसाया गया जिसके कारण मुझे मनीष निषाद को मारना पड़ा था और उसको मैंने ऑन कैमरा मारा था क्योंकि उसने मेरे दुश्मनों के साथ मिलकर मेरे घर पर आकर मेरी मां और बहन के साथ गाली-गलौज और मारपीट किया था। जिसमें मेरे एक बहुत करीबी हरामखोर मित्र जय प्रकाश निषाद का हाथ था क्योंकि यही हरामखोर मनीष निषाद को अपने हिसाब से चलाता था और वही षड्यंत्र करके डॉ. संजय कुमार निषाद के नाम से और तत्कालीन सांसद प्रवीण कुमार निषाद के नाम से फोन करके मेरे खिलाफ फर्जी लूटपाट का मुकदमा दर्ज करवाया था जिसके बारे उस हरामखोर को जब लाईव आकर मैंने मारने का धमकी दिया था तब वह हरामखोर अपने दोस्त सोहन गुप्ता जो खजनी विधानसभा के निवासी हैं उनके जरिए मेरे पास फोन करके गोरखपुर मिलकर पूरी बात बताई थी। जिसमें सोहन गुप्ता और जय प्रकाश निषाद, प्रदीप साहनी और विष्णु चौरसिया भी थे जो जय प्रकाश निषाद के ही मित्र हैं। इन सबके सामने जय प्रकाश निषाद ने कबूल किया था कि डॉ. संजय कुमार निषाद और उनके बेटों प्रवीण कुमार निषाद और श्रवण कुमार निषाद इन लोगों के कहने पर मेरे खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था।

यह सारी बातें सुनकर मुझे बहुत गहरा चोट पहुंचा मगर फिर भी मैंने खुद को शांत रखा और किसी को यह एहसास नहीं होने दिया कि मैं इन सब बातों को जान चुका हूँ। मैं चाहता तो जय प्रकाश निषाद को तत्काल जान से मार सकता था मगर मैं अपने आपको खूनी नहीं बनाना चाहता था। मैंने समाज के लिए छोटे-मोटे झगड़े विवाद किए हैं मगर कभी किसी का हत्या करूंगा ऐसा ख्याल कभी मन में आया भी नहीं है। अब इतना कुछ होने के बाद भी मैं समाज की लड़ाई लगातार लड़ता रहा है। इसी बीच पनियरा थाने के अंतर्गत आने वाले बैदा गाँव निवासी गुलशन निषाद की हत्या कर दी जाती है और पुलिस उस मामले को कुछ राजनेताओं के दबाव में आकर दुर्घटना दिखाकर मामले को दबाने का प्रयास करती है। इस बात की सूचना कई पत्रकार बंधुओं और सामाजिक लोगों द्वारा मुझे दी जाती है तब मैं मौके पर जाता हूँ और एडीशनल एसपी को मौके पर बुलाकर पीड़ित परिवार के तरफ से हत्या का तहरीर एडीशनल एसपी को दिलवाता हूँ। इस मामले में भी मेरे खिलाफ डॉ. संजय कुमार निषाद और उनके बेटों द्वारा चक्का जाम ईत्यादि का फर्जी मुकदमा दर्ज करवाकर मुझे जेल भेजवाया जाता है। जब मै जेल से छुटकर बाहर आता हूँ तो फिर लोकसभा चुनाव में मेरा समर्थन पाने के लिए डॉ. संजय कुमार निषाद और उनके बेटों ने मुझसे बातचीत करना और मिलना-जुलना शुरू कर दिया। इस बीच मेरे आवास पर डॉ. संजय कुमार निषाद के छोटे सुपुत्र ई. श्रवण कुमार निषाद आते हैं और माफी मांगते हैं और कहते हैं कि मेरे खिलाफ उनके परिवार के किसी सदस्य ने पैरवी नहीं किया था जो भी किया था वह जय प्रकाश निषाद ने किया था फिर मैं जय प्रकाश निषाद से पूछताछ करता हूँ तो वह भी कसम खाता और कहता उसने जो भी षड्यंत्र मेरे खिलाफ किया है वह सब डॉ. संजय कुमार निषाद और प्रवीण कुमार निषाद और ई. श्रवण कुमार निषाद के कहने पर किया था।
मैं इन सब बातों को जानकर रोज घुट-घुट कर मर रहा था और सारी बातें जानना चाहता था कि कौन-कौन मेरे खिलाफ षड्यंत्र किया है इसकी भी जानकारी करना बहुत जरूरी हो गया था। अब लगभग सभी चेहरों से नकाब हट चुके हैं और उन सब चेहरों की पहचान भी हो चुकी है। पहले तो मेरे मन में ख्याल आया कि मैं उन सब हरामखोरो को जान से मार दूँ जिन्होंने मेरे खिलाफ षड्यंत्र किया है फिर दिल ने कहा कि नहीं यार ऐसा करके मुझे तो संतुष्टि मिल जायेगी मगर मैं हत्यारा बन जाऊँगा। इसलिए मैंने बहुत कुछ सोचने के बाद यह निर्णय लिया है कि इस बेरहम और एहसान फरामोश दुनियाँ से दूरी बना लेना चाहिए। मैं अपने साथ चलने वाले सभी क्रान्तिकारी साथियों से निवेदन करना चाहूँगा कि आप लोग कभी भी किसी भी साथी के साथ गद्दारी मत करिएगा और जहाँ तक हो सके समाज के दबे कुचले लोगों की आवाज को बुलंद करने का प्रयास करते रहिएगा। मैं अपनी माँ और बहनों एवं भैया से हाथ जोड़कर क्षमा माँग रहा हूँ कि समाज के लोगों की मदद करते हुए मैंने अपनी जिंदगी निकाल दी मगर आप लोगों को कभी समय नहीं दे पाया और न ही आप लोगों के लिए कुछ कर पाया मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि मुझे अगले जन्म में भी इस परिवार का हिस्सा बनाकर भेजना ताकी मैं अपनी माँ और बहनों एवं भैया का सेवा कर सकूं।
अब मैं अपनी पत्नी से भी क्षमा चाहता हूँ कि उसको भी मैंने समय नहीं दिया और जो थोड़ा बहुत समय दिया उसमें मेरी एक फूल जैसी बेटी का जन्म हुआ और उस फूल जैसी बेटी को भी मैं समय नहीं दे पाया। मैं अपनी पत्नी से भी क्षमा चाहता हूँ कि मैं उसे ऐसे मोड़ पर छोड़कर जा रहा हूँ हो सके तो मुझे माफ कर देना अंजली। अब मैं उन क्रान्तिकारी साथियों से भी क्षमा चाहता हूँ जिन्होंने मेरे साथ संघर्ष करते हुए समाज के दबे, कुचले लोगों को न्याय दिलाने हेतु मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया। मैं अपने निषाद समाज के सभी समाजसेवियों और राजनेताओं से एक आखिरी निवेदन करना चाहता हूँ कि आप लोग निषाद समाज के युवाओं के भविष्य को बचाने के लिए ठोस कदम उठाने के साथ-साथ डॉ. संजय कुमार निषाद जैसे धूर्त व्यक्ति से समाज को छुटकारा दिलाने के लिए कार्य करें क्योंकि जितना नुकसान निषाद समाज का अन्य दलों ने नहीं किया है उससे कहीं ज्यादा नुकसान डॉ. संजय कुमार निषाद और उसके बेटों ने किया है। मैंने इनके साथ रहकर सारी चीजें बहुत करीब से देखी हैं इन्होंने निषाद समाज को जगाने का काम किया है मगर उसमें मुझ जैसे सैकड़ों क्रान्तिकारी साथियों की अग्रणी भूमिका रही है। कोई भी टीम अगर मैच जीतती है तो वह सिर्फ कप्तान के बदौलत नहीं बल्कि पूरी टीम की एकजुटता के शानदार प्रदर्शन के बदौलत जीतती है। वह अलग बात है कि ट्राफी उठाने का और मंच पर बात रखने का मौका कप्तान को मिलता है जिसकी वजह से कप्तान को प्रसिद्धि मिल जाती है। इसी तरह से निषाद समाज को जगाने में और उनके हक अधिकारों की लड़ाई लड़ने में मुझ जैसे सैकड़ों क्रान्तिकारी साथियों का अहम योगदान रहा है मगर डॉ. संजय कुमार निषाद ने उसे भुनाते हुए खुद को स्वघोषित महामना, पॉलिटिकल गॉड फॉदर ऑफ फिशरमैन बना लिया।
मैं एक ही बात जानता हूँ कि अगर क्षेत्र में कही किसी लड़की की इज्जत लूटी जा रही हो और थानेदार वहां पहुंचकर लड़की की इज्जत बचाकर थाने में लाकर खुद बलात्कार करे तो उस थानेदार और बलात्कारी में कोई अंतर रह जाएगा। ठीक इसी तरह अगर डॉ. संजय कुमार निषाद अगर दावा करते हैं कि निषाद समाज को अन्य दलों के चंगुल से बाहर निकालकर उनका सम्मान बढ़ाए हैं तो फिर अपनी पार्टी में लाकर उनका और निषाद समाज दोनों का शोषण कर रहे हैं तो उनमें और अन्य दलों में क्या अंतर है। जब वह मुझ जैसे एक वफादार सिपाही का नहीं हुए जो कि मैने अपने 10 वर्ष डॉ. संजय कुमार निषाद और उनके बेटों को दे दिया तो अन्य किसी का वह क्या होंगे। वह सिर्फ उसी के हो सकते हैं जो उनका तलवा चाटने का काम करते रहे और जो उनको अपना इज्जत, आबरू लुटाकर उनको खुश रखे बस वही लोग उनके चहेते रह सकते हैं। लिखने के तो सैकड़ों मामले हैं जो लिखने लगूं तो कई घंटे लग जायेंगे क्योंकि मैंने जहां- जहां समाज की लड़ाई लड़ी है। वहां मेरी लोकप्रियता कम करने के लिए मेरे विरुद्ध पैरवी करने में डॉ. संजय कुमार निषाद और उनके बेटों ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है पता नहीं उन सबको मुझसे इतनी जलन क्यों रहती है। खैर छोड़िए वो सब अब अपना राजनीति करें और उनसे दूरी बनाने के लिए मैं दुनियां को ही छोड़ दे रहा हूँ। बस एक आखिरी बात मैं अपने निषाद समाज से कहना चाहूंगा कि आज तक मैंने निषाद समाज के लिए जो भी हो सका है वह मदद मैने किया है अब मैं समाज से अपने परिवार की सुरक्षा और उनके भविष्य की जिम्मेदारी आप सब पर सौंप के जा रहा हूँ।
अगर आप लोग मेरे परिवार का ख्याल रख लेंगे तो मेरी आत्मा को शान्ति मिलेगी और मैं अपने आप को गौरवान्वित महसूस करूंगा कि मैंने जो मदद समाज का किया था उसका फल मेरे परिवार को मिल रहा है। मैं अगर दुनियां छोड़कर जा रहा हूँ तो इसका सबसे बड़ा कारण डॉ. संजय कुमार निषाद और उनके बेटों प्रवीण कुमार निषाद और ई श्रवण कुमार निषाद और हरामखोर गद्दार दोस्त जय प्रकाश निषाद है। मैं फिर कह रहा हूँ कि अगर मैं मारना चाहता तो इन गद्दारों को कभी भी मार सकता था मगर मैं हत्यारा नहीं बनना चाहता था। मेरे सामाजिक और राजनैतिक जीवन में अगर जाने-अनजाने में किसी के साथ मुझसे कोई भूल या गलती हो गई हो तो आप लोग क्षमा करियेगा और मेरे परिवार का ख्याल रखियेगा।