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नई दिल्ली/कोरबा. पत्थलगड़ी आंदोलन के समर्थन में गिरफ्तार आदिवासी नेताओं को रिहा कराने के लिए आदिवासी समुदाय सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रहा है. पत्थलगड़ी आंदोलन को तेज करने वाले आदिवासियों को गिरफ्तार करने के बाद आदिवासी समाज में आक्रोश बढ़ता दिख रहा है. गुस्साएं आदिवासियों का कहना है कि सरकार गिरफ्तारी करा हमारे अधिकारों को नहीं छिन सकती.
प्राप्त जानकारी के मुताबिक पत्थलगड़ी आंदोलन के समर्थकों को झारखंड व छत्तीसगढ़ में गिरफ्तार किया गया है. आदिवासी नेता का कहना है कि सरकार आदिवासी परंपरा व अधिकारों का हनन कर रही है. सरकार की दमनकारी नीतियों का विरोध और भी व्यापक पैमाने पर किया जाएगा. सूत्रों का कहना है कि बिना किसी शर्त के 14 मई को गिरफ्तार आदिवासी समर्थकों छोड़ने की अपील की गई थी लेकिन खबर मिलने तक किसी को रिहा नहीं किया गया था. इसके बाद आदिवासी नेता ने कहा कि हम लोग 15 मई को व्यापक रूप से प्रदर्शन कर रिहाई की मांग करेंगे.
आदिवासी जानकारों का मानना है कि पत्थलगड़ी आंदोलन जायज है. इसको रोकने के लिए गिरफ्तारी करना असंवैधानिक है. जानकारी के अनुसार आदिवासी समुदाय और गांवों में पारम्परिक विधि-विधान-संस्कार के साथ पत्थलगड़ी (बड़ा शिलालेख गाड़ने) की वर्षों पुरानी परंपरा है. इन पत्थलगड़ियों में मौजा, सीमाना, पुरखों की स्मृति, ग्रामसभा और अधिकार की जानकारी रहती है. कई जगहों पर अंग्रेज-दुश्मनों के खिलाफ लड़कर शहीद होने वाले वीर सूपतों के सम्मान में भी पत्थलगड़ी की जाती रही है. ऐसे में पत्थलगड़ी आंदोलनकारियों को गिरफ्तार करना सरकारी की मनमानी दर्शाती है.
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