नई दिल्ली। अगर आप भी भारतीय जीवन बीमा निगम से कोई बीमा पॉलिसी ले रहे हैं तो आपको कुछ बातें ध्यान रखनी चाहिए. एलआईसी को अधिकतर लोग सबसे अच्छा मानते हैं और इसी का फायदा उठाकर धोखाधड़ी करने वाले लोग भी लोगों को ठगने की कोशिश करते हैं. एलआईसी ने लोगों को ऐसी धोखाधड़ी से बचाने के लिए एक एडवाइजरी जारी की है. इसमें 7 खास बातें बताई गई हैं, जिनका पॉलिसी लेते समय ध्यान रखना जरूरी है.
आइए जानते हैं क्या हैं ये 7 बातें.
1- साइन करने से पहले पढ़ें-
भले ही आपको पॉलिसी कोई एजेंट दे रहा हो या फिर कोई और, लेकिन कोई भी पॉलिसी लेने से पहले उसे ध्यान से पढ़ें. बीमा पॉलिसी से जुड़ी सभी नियम व शर्तों को ध्यान से पढ़ने के बाद ही पॉलिसी पर साइन करें.
2- असली दस्तावेज किसी को न दें-
एलआईसी के किसी भी एजेंट को किसी शख्स से उसके असली दस्तावेज लेने का अधिकार नहीं है. अगर आपसे कोई आपके दस्तावेज मांगता है तो उसे सिर्फ फोटोकॉपी ही दें. किसी को भी अपने असली दस्तावेज न दें.
3- झांसों में न आएं-
अगर एलआईसी के नाम से आपको कोई फोन आए और वह आपके कंपनी के नाम पर कोई लुभावना ऑफर दे तो उसकी जांच जरूर करें. ऐसा भी हो सकता है कि वह किसी धोखेबाज का फोन हो. फोन पर किसी को भी अपनी कोई निजी जानकारी न दें.
4- बकाया किस्त के लिए फोन से रहें सतर्क-
कई बार एलआईसी की तरफ से बकाया किस्त भरने के लिए भी फोन आता है. ध्यान रहे कि कभी भी एलआईसी ऐसा कोई फोन नहीं करती है. अगर आपके पास ऐसा कोई फोन आए तो तुरंत उसकी शिकायत एलआईसी से करें.
5- चेक देने से पहले यह ध्यान रखें-
अगर आप अपनी बीमा पॉलिसी की रकम चेक के जरिए देना चाहते हैं तो ध्यान रखें कि उसे सिर्फ Life Insurance corporation of India के फेवर में ही दें. अगर कोई एजेंट किसी दूसरे नाम से चेक देने की बात करे तो एक बार कंपनी से बात करें तभी कोई फैसला लें. वरना आपके साथ ठगी हो सकती है.
6- शंका होने पर पूछें-
अगर आपको कोई समस्या हो तो पॉलिसी के बारे में एजेंट से बात जरूर करें. अगर एजेंट कोई आनाकानी करे तो उससे पॉलिसी न लें. अपने मन में किसी भी तरह की शंका न रखें. पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद ही पॉलिसी लें.
7- स्टेटस चेक करते रहें-
अपनी बीमा पॉलिसी का बीच-बीच में स्टेटस जरूर चेक करते रहें. इससे आपको यह साफ रहेगा कि जो भी प्रीमियम आपने दिया है, वह एलआईसी तक पहुंचा भी है या नहीं.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।