जब देश में लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं की सबसे ज्यादा जरूरत है, अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधाओं की खस्ता हालत ने हमारे कथित महान भारत देश की कलई खोल कर रख दी है। विदेशों में अगर भारत के स्वास्थ्य सुविधाओं का माखौल उड़ रहा है तो इसकी वजह खुद हमारे देश का सिस्टम है जो बेईमानी के गर्त में डूबा हुआ है। पीएम केयर फंड से खरीदे गए वेंटिलेटर में भी सिस्टम की लापरवाही खुल कर सामने आई है। दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबर के मुताबिक कहीं ऑक्सीजन प्रेशर, तो कहीं एक फ्यूज के चलते पीएम केयर वेंटिलेटर बेदम परे हैं।
जब पीएम केयर फंड को लेकर हंगामा मचा तो पिछले साल सरकार ने इस फंड से हजारों वेंटिलेटर खरीदे। 12 मार्च को लोकसभा में दिये गए एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया था कि 1850 करोड़ रुपये से 38,867 वेंटिलेटर्स राज्यों को भेजे गए। इसमें से 35,269 वेंटिलेटर्स के इंस्टाल होने की बात कही गई थी। सबसे ज्यादा वेंटिलेटर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत इलेक्ट्रानिक्स से खरीदा गया था जबकि इसके अलावा AMTZ, नोएडा की अग्वा हेल्थकेयर, गुजरात की ज्योति CNC और एलाइड मेडिकल से भी वेंटिलेटर खरीदे गए थे।
लेकिन कोरोना महामारी के बीच लोगों को जिंदगी देने के लिए राज्यों को पीएम केयर फंड से दिये गए ज्यादातर वेंटिलेटर किसी काम के नहीं हैं। भास्कर की खबर के मुताबिक कहीं वेंटिलेटर में पर्याप्त ऑक्सीजन न पहुंचने तो कहीं चलते-चलते बंद होने की शिकायतें आ रही हैं। कंपनियों ने वेंटिलेटर तो सप्लाई किए लेकिन कई जगह इन्हें इस्टॉल करने की जगह सिर्फ असेम्बल करके रख दिया गया।
कई राज्यों में वेंटिलेटर लगाने के लिए लोकेशन तैयार नहीं थी। तो कई जगहों पर ऑक्सीजन पाइप से जोड़ने वाले कनेक्टर नहीं थे। डॉक्टरों और तकनीकी स्टॉफ का कहना है कि कई जगहों पर न तो समय से ऑक्सीजन सेंसर और फ्यूज कनेक्टर जैसे स्पेयर पार्ट्स् मिल रहे हैं और न सर्विस हो पा रही है। जिस कारण ये बेकार परे हैं, लेकिन इस लापरवाही के जिम्मेदार व्यवस्था में लगे अन्य लोग भी हैं। जब अस्पतालों तक वेंटिलेटर पहुंचा तो संक्रमण कम था, इस वजह से डॉक्टरों ने रुचि नहीं ली। तो कई जगहों पर महज पांच रुपये का फ्यूज उड़ जाने के कारण वेंटिलेटर को कबाड़ में रख दिया गया।
लगातार शिकायतें आने के बाद सरकार ने इस बारे में जांच के आदेश दे दिये हैं। लेकिन जमीन पर जिस तरह देश की जनता वेंटिलेटर की कमी से दम तोड़ रही है, उसमें सरकार से लेकर वेंटिलेटर मुहैया करवाने वाली कंपनियां और अस्पताल प्रशासन सभी सवालों के घेरे में हैं। सवाल है कि हमारे देश की व्यवस्था समय पर दुरुस्त क्यों नहीं मिल पाती। ये करना यह देश कब सिखेगा??

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