2014 में अप्रत्याशित बहुमत से राजनीति में एक नये अवतार का अवतरण हुआ. किंतु बड़े-बड़े झूठ और जुमलों की बरसात के साथ. यदि यह मान भी लिया जाए कि चुनावी भाषणों का कोई मापदंड नहीं होता है तो भी कुछ तो नैतिकता होनी ही चाहिए कि नहीं? सबसे बड़ी हद तो तब हो गई, जब मोदी जी ने जिस जवाहर लाल नेहरु को चुनावी भाषणों में पानी पी-पी कर बेतहाशा कोसा, उसी नेहरु के उस कथन की चोरी कर ली जिसे नेहरू ने प्रधान मंत्री बनने पर कहा था. नेहरू ने कहा था कि मुझे प्रधान मंत्री नहीं अपितु “प्रथक सेवक” कहा जाए. मोदी जी ने प्रधान मंत्री बनते ही नेहरू के इस कथन में परिवर्तन करके खुद को “प्रधान सेवक” कहने की जहमत कर डाली. क्या यह किसी चोरी अथवा झूठ से कम है?
कहना अतिशयोक्ति न होगा कि आज देश के सभी राजनीतिक दलों में दलित व पिछ्ड़ों… खासकर दलितों के हितैषी दिखने की होड़ लगी हुई है. विशेष रूप से भाजपा इस दिशा में सबसे आगे है. अब क्यूंकि भाजपा सत्तासीन है इसलिए वह बाबा साहब आम्बेडकर के बहाने समाज के दलित वर्ग को जाल में फंसाने का कोई अवसर गंवाना नहीं चाहती, फलत: प्रधान मंत्री और उनके मंत्री झूठ का सहारा लेने से कतई ही नहीं झिझक रहे हैं.
अन्य मंत्रियों की छोड़िये, प्रधान सेवक मोदी जी ने बाबा साहेब की 127वीं जयंती की पूर्व संध्या पर 26 अलीपुर रोड, दिल्ली पर बाबा साहेब के नाम पर बने “अम्बेडकर राष्ट्रीय स्मारक” के उदघाटन भाषण में कुछ ऐसे झूठ बोले जिनको छिपाना नामुमकिन है. मोदी जी ने कहा कि बाबा साहेब अम्बेडकर को आडवानी जी और अटल जी के आग्रह पर तत्कालीन प्रधानमंत्री वी. पी. सिंह ने “भारत रत्न” से विभूषित किया… जो कि सरासर झूठ है.
उल्लेखनीय है कि बाबा साहेब को भारत रत्न से विभूषित करने की कवायद राजीव गांधी की सरकार बनने के पहले से ही चली आ रही थी किंतु नाना-प्रकार के अप्रत्यक्ष विरोधों के चलते बाबा साहेब अम्बेडकर को भारत रत्न से विभूषित नहीं किया गया किंतु वी. पी. सिह के प्रधानमंत्री काल में बाबा साहेब को भारत रत्न से विभूषित किया गया जिसमें अडवानी जी और अटल जी की कोई भूमिका नहीं थी. हां! ये बात जरूर थी कि भाजपा वी. पी. सिंह की सरकार को बाहर से सपोर्ट कर रही थी जिसे वी. पी. सिंह द्वारा मंडल आयोग लागू करते ही वापिस ले लिया गया था और भाजपा मंडल आयोग को लागू करने के खिलाफ देशव्यापी आन्दोलन की अगुआ बन गई.
प्रधान सेवक जी ने यह भी कहा कि अटल जी के शासन काल में ही संसद भवन के केन्द्रीय हाल में बाबा साहेब का तैल-चित्र लगाया गया. उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि कांग्रेस ने संसद भवन के केन्द्रीय हाल में बाबा साहेब का तैल चित्र लगाने से यह कहकर इंकार कर दिया कि केन्द्रीय हाल में तैल-चित्र लगाने के लिए समुचित स्पेस नहीं है. जबकि बाबा साहेब का तैल-चित्र लगवाने की कवायद से जुड़े ‘डा. बी. आर. अम्बेडकर मंच’ के महासचिव रतनलाल केन का कहना है कि संसद भवन के केन्द्रीय हाल में बाबा साहेब का छोटे आकार का तैल चित्र दिनांक 09.08.1989 को लगाया गया, जब राजीव गांधी की सरकार थी और बाबा साहेब का बड़े आकार का तैल-चित्र दिनांक 12.04.1990 को लगाया गया, जब वी. पी. की सरकार थी. और यह भी कि बाबा साहेब का “छोटा” और “बड़ा” तैल-चित्र ‘डा. बी. आर. अम्बेडकर मंच’ के द्वारा ही उपलब्ध कराए गए थे न कि सरकार द्वारा.
मोदी जी ने यह भी कहा, ‘1951 में कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद बाबा साहेब ने 1952 में लोकसभा का आम चुनाव लड़ा था. कांग्रेस द्वारा की गई खिलाफत के कारण बाबा साहेब को हार का अपमान सहना पड़ा. इसके बाद उन्होंने 1953 में भंडारा सीट से लोकसभा का उपचुनाव लड़ा. कांग्रेस ने फिर बाबा साहेब को लोकसभा में पहुंचने से रोक दिया. इस लगातार अपमान के समय उनका साथ दिया था, डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने. उन्हीं के प्रयासों से बाबा साहेब राज्यसभा में पहुंचे.’ किंतु यह सत्य से कोसो दूर की बात है. अपितु सच्चाई ये है कि बाबा साहेब ने 1952 में राज्यसभा सदस्य के रूप में संसद में मुम्बई का प्रतिनिधित्व किया था.
डॉ. आम्बेडकर की विचारधारा का भगवाकरण कर यह सरकार राजनीतिक चरित्र हनन के उद्देश्य से कार्य कर रही है. यह वैचारिक हत्या का घिनौना कुकृत्य है. सच मायने में तो यह मनुवाद का एक नया संस्करण है. ‘पंचतीर्थ स्थल’ के नाम से बाबा साहेब डॉ. आम्बेडकर के ऐतिहासिक स्थलों का हिन्दूकरण करना कट्टरपंथी हिन्दुओं अर्थाथ आर एस एस का एक गुप्त एजेंडा है. जनता को समझ लेना चाहिए कि आज भाजपा के मुंह में आम्बेडकर और बगल में राम है.
– लेखक तेजपाल सिंह तेज तमाम पत्र पत्रिकाओं से जुड़े रहे हैं. फिलहाल स्वतंत्र लेखक के रूप में सक्रिय है