कृषि कानूनों पर मोदी से लेकर भारत सरकार को हराने और अपनी मांग मंगवाने के बाद किसानों ने एक बार फिर भाजपा और पीएम मोदी को झटका दे दिया है। 5 जनवरी को पंजाब के फिरोजपुर दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को किसानों ने रैली नहीं करने दी और पीएम को अपना कार्यक्रम रद्द कर वापस लौटना पड़ा। हालांकि अपनी इज्जत बचाने के लिए केंद्र सरकार इसके पीछे सुरक्षा कारणों का हवाला दे रही है, लेकिन स्थानीय रिपोर्ट के मुताबिक खाली कुर्सियों और किसानों के विरोध के कारण पीएम को अपना दौरा रद्द करना पड़ा।
पीएम मोदी अपनी इस रैली से पंजाब चुनाव की शुरुआत करने वाले थे। इस दौरान वह फिरोजपुर में वह 42750 करोड़ रुपये की विकास योजनाओं की घोषणा करने वाले थे। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी सुबह बठिंडा पहुंचे थे। उन्हें वहां से हेलिकॉप्टर से हुसैनीवाला में राष्ट्रीय शहीद स्मारक जाना था। आसमान साफ नहीं था तो पीएम मोदी का सड़क मार्ग से जाना तय हुआ। लेकिन किसानों के प्रदर्शन के चलते पीएम मोदी को वापस लौटना पड़ा। हालांकि अब इस पूरे मामले को गृह मंत्रालय और भाजपा सुरक्षा की चूक मानकर पंजाब सरकार पर सारा ठिकरा फोड़ रही है।
लेकिन सच यह है कि किसान संगठनों ने पहले ही रैली का विरोध करने का ऐलान कर रखा था। किसान एमएसपी गारंटी कानून बनाने और प्रदूषण एक्ट में से किसानों को निकालने की मांग कर रहे थे। पीएम मोदी की इस रैली का विरोध सड़क से लेकर सोशल मीडिया पर तक देखने को मिला। सोशल मीडिया के पेज ट्रैक्टर टू ट्विटर पर बच्चे से लेकर नौजवान और बुजुर्ग भी मोदी की रैली का विरोध करते दिखे। देखते-देखते ट्विटर पर गो बैक मोदी टॉप ट्रेंड करने लगा।
यहां लोगों का इस बात को लेकर गुस्सा था कि कृषि कानून के खिलाफ संघर्ष के दौरान 700 किसानों की शहादत होने के बाद प्रधानमंत्री ने कानून वापस लिया। अब भी किसानों की कई मांगें नहीं मानी गई हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री का पंजाब में स्वागत का सवाल ही नहीं है।
यानी कि जिस तरह पीएम मोदी और भाजपा यह मान रहे थे कि कृषि कानूनों की वापसी के बाद किसानों का गुस्सा शांत हो जाएगा, वैसा होता नहीं दिख रहा है। पीएम मोदी का विरोध कर पंजाब के किसानों ने साफ कर दिया है कि वह फिलहाल भाजपा और पीएम मोदी को पंजाब में घुसने देने के मूड में नहीं हैं।

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