आज़मगढ़ के पलिया गांव में दलित समाज के प्रधान मुन्ना पासवान पर पुलिसिया अत्याचार के खिलाफ हर ओर से विरोध की आवाज उठने लगी है। खासतौर पर दलित समाज ने इस मामले को गंभीर बताते हुए इंसाफ की मांग शुरू कर दी है। सोशल मीडिया पर इस घटना की पुरजोर चर्चा है और इस मामले को एक संपन्न दलित का विरोधियों की आंखों में खटकने के मामले के रूप में देखा जा रहा है।
इस मामले में तमाम राजनीतिक दलों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने भी दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया में उन्होंने पलिया गांव में दलितों पर की गई पुलिसिया कार्रवाई को शर्मनाक बताया। साथ ही इस मामले में उन्होंने सरकार से दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करने और पीड़ितों को आर्थिक भरपाई करने की भी मांग की। लेकिन यहां सवाल यह है कि क्या मुन्ना पासवान के घर को इसलिए तोड़ा गया है, क्योंकि उसका रसूख और रहन सहन कथित अगड़ों से आगे था? इस बात पर बहस छिड़ गई है।
हालांकि सुश्री मायावती ने ट्वीट करते हुए कहा कि पुलिस ने पलिया गांव के पीड़ितों को इंसाफ देने की बजाए उनके साथ ज्यादती की और उन्हें आर्थिक नुकसान पहुंचाया। ये घटना बहुत ही निंदनीय है। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि घटना की गंभीरता को देखते हुए बीएसपी का एक प्रतिनिधिमंडल पीड़ितों से मिलने जल्द ही पलिया गांव जाएगा।
2. साथ ही, अत्याचारियों व पुलिस द्वारा भी दलितों के उत्पीड़न की इस ताजा घटना की गंभीरता को देखते हुए बीएसपी का एक प्रतिनिधिमण्डल श्री गया चरण दिनकर, पूर्व एमएलए के नेतृत्व में पीड़ितों से मिलने शीघ्र ही गाँव का दौरा करेगा।
— Mayawati (@Mayawati) July 6, 2021
29 जून को, आजमगढ़ जिले के पलिया गांव में छेड़छाड़ की एक घटना की जांच करने दो पुलिस वाले आए। आरोप है कि उन्होंने प्रधान को थप्पड़ मार दिया। जवाब में प्रधान पक्ष से कुछ लोगों ने पुलिसकर्मियों से मारपीट की। ग्रामीणों का आरोप है कि रात में दबिश देने आई पुलिस ने JCB से मुन्ना पासवान और पासी समाज के कुछ मकानों में को तहस नहस कर दिया और उनके जेवर और कीमती सामान लूट ले गए। पुलिस पर ग्रामीणों से लूटपाट और घर की महिलाओं के साथ बदतमीजी करने का आरोप है। इस मामले में 11 नामजद और 135 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
इस मामले में कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा, भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद के अलावा समाजवादी पार्टी भी आक्रामक है। यूपी में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर यह मुद्दा राजनीतिक दलों के लिए एक मौका है, लेकिन यहां सवाल यह है कि आखिर मुन्ना पासवान पुलिस-प्रशासन के निशाने पर क्यों आएं? क्या इसलिए कि वह एक संपन्न दलित थे, और इसकी वजह से गांव की अगड़ी जातियां उनसे जलती थीं?

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Yah ghatna dhik dukhdayi hai hi shasan prashasan ko chahie iski jaanch kara kar doshiyon per II II kanuni kaarvayi honi chahie jila mahasachiv nagrik ekta party unnao