उत्तर प्रदेश में विधानसभा का सत्र चल रहा है। ऐसे में पक्ष और विपक्ष आमने सामने हैं। इस बीच 19 सितंबर को जब अखिलेश यादव योगी सरकार को घेरने के लिए सड़क पर उतरे तो भाजपा की सरकार ने अपनी पुलिस को उतार कर उन्हें रोकने की पुरजोर कोशिश की। इसको लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने जिस तरह भाजपा पर हमला बोला है, वह लखनऊ से लेकर दिल्ली तक चर्चा का विषय बना हुआ है। कयास लग रहे हैं कि कहीं बहनजी के मन में कोई योजना तो नहीं चल रही।
दरअसल मंगलवार 20 सितंबर की सुबह बीएसपी प्रमुख मायावती ने एक के बाद एक तीन ट्वीट कर दिए, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। इस ट्विट में उन्होंने सपा के पैदल मार्च को पुलिस का इस्तेमाल कर रोकने पर भाजपा को जमकर घेरा।
उन्होंने लिखा- ‘विपक्षी पार्टियों को सरकार की जनविरोधी नीतियों व उसकी निरंकुशता तथा जुल्म-ज्यादती आदि को लेकर धरना-प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं देना भाजपा सरकार की नई तानाशाही प्रवृति हो गई है. साथ ही, बात-बात पर मुकदमे व लोगों की गिरफ्तारी एवं विरोध को कुचलने की बनी सरकारी धारणा अति-घातक.‘
इसके बाद बहनजी ने दूसरे ट्वीट में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस बढ़ोतरी का मुद्दा उठा दिया। उन्होंने लिखा- ‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा फीस में एकमुश्त भारी वृद्धि करने के विरोध में छात्रों के आन्दोलन को जिस प्रकार कुचलने का प्रयास जारी है वह अनुचित व निन्दनीय. यूपी सरकार अपनी निरंकुशता को त्याग कर छात्रों की वाजिब माँगों पर सहानुभतिपूर्वक विचार करे, बीएसपी की माँग‘.
अपने तीसरे ट्वीट में बीएसपी सुप्रीमो ने सीधे भाजपा पर हमला बोल दिया। उन्होंने लिखा- ‘महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, बदहाल सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य व कानून व्यवस्था आदि के प्रति यूपी सरकार की लापरवाही के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन नहीं करने देने व उन पर दमन चक्र के पहले भाजपा जरूर सोचे कि विधानभवन के सामने बात-बात पर सड़क जाम करके आम जनजीवन ठप करने का उनका क्रूर इतिहास है.‘
बहनजी के इस बदले रुख की चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि 2019 के चुनाव के बाद यह शायद पहला मौका है, जब बहनजी ने कुछ ऐसा कहा हो, जो समाजवादी पार्टी को राहत दे सके। बहनजी के बयान को इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि ये बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार से लेकर दिल्ली तक विपक्षी एकता की बात कही जा रही है। हालांकि विपक्षी एकता की बात पर यूपी की दो प्रमुख पार्टियां सपा और बीएसपी इससे पूरी तरह दूरी बनाकर रखी है। लेकिन बहनजी का ताजा बयान विपक्ष के लिए उम्मीद की किरण बन सकता है।

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