विश्व आदिवासी दिवस की बधाई देना भूलीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

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25 जुलाई 2022 को द्रौपदी मूर्मू भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनी थीं। जब वो राष्ट्रपति बनी तो उनकी आदिवासियत पहचान को लेकर भाजपा ने खूब ढिंढ़ोरा पीटा। कहा गया कि देश में पहली बार आदिवासी समाज का व्यक्ति और वो भी महिला शीर्ष पद पर पहुचेंगी। लेकिन वही राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस पर बधाई देना भूल गईं। इसको लेकर आदिवासी समाज के लोगों ने आपत्ति, अफसोस और विरोध जताया है।

सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर काफी सक्रिय रहने वाले हंसराज मीणा ने एक्स पर पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का विश्व आदिवासी दिवस पर दिये गए संदेश का साझा करते हुए लिखा-

राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू फिलहाल विदेश दौरे पर हैं। 4 अगस्त को वह फिजी, न्यूजीलैंड और तिमोर लेस्ते देशों की यात्रा पर निकली। प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया के आधिकारिक एक्स हैंडल पर इसकी जानकारी और तस्वीर दोनों है। अपनी इस यात्रा में राष्ट्रपति जहां भी जा रही हैं, और जिस राष्ट्राध्यक्ष या महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में शामिल हो रही हैं, उसकी तस्वीरें और जानकारी लगातार साझा की जा रही है।

9 अगस्त को इस आधिकारिक एक्स हैंडल से जो पोस्ट किये गए हैं। उसमें नीरज चोपड़ा को पेरिस ओलंपिक में रजत पदक जीतने की बधाई दी गई है, जबकि अन्य में वीडियो जारी किया गया है, जिसमें राष्ट्रपति मूर्मू न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में इंडियन कम्यूनिटी रिसेप्शन को संबोधित कर रही हैं। इस दिन विश्व आदिवासी दिवस से जुड़ा कोई पोस्ट नहीं दिख रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू की ताजा पोस्ट तिमोर लेस्ते से 10 अगस्त को साढ़े 11 बजे की है, जिसमें वो पूर्व राष्ट्रपति वी.वी.गिरी की जयंती पर उनकी तस्वीर के सामने झुककर उनको श्रद्धांजलि दे रही हैं। यानी अभी भी वह अपने विदेशी दौरे पर ही हैं।

यहां सवाल यह उठता है कि जब राष्ट्रपति और उनके साथ चल रहे स्टॉफ को हर किसी की जयंती और पेरिस ओलंपिक में चल रही प्रतिस्तपर्धाओं की जानकारी है और वो लगातार राष्ट्रपति के जरिये इससे जुड़े संदेश भी दे रहे हैं तो आखिर वह विश्व आदिवासी दिवस की बधाई देना कैसे भूल गए। हो सकता है कि इसके लिए राष्ट्रपति भवन का स्टॉफ जिम्मेदार हो, लेकिन आदिवासी समाज का होने के नाते राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू का भी विश्व आदिवासी दिवस को भूल जाने को दुर्भाग्यपूर्ण नहीं तो और क्या कहा जाए। संभवतः यह पहली बार है जब कोई राष्ट्रपति विश्व आदिवासी दिवस की बधाई देना भूल गया है। एक सवाल यह भी है कि क्या यह सरकार की आदिवासी समाज को लेकर किसी अलग तरह की राजनीति की शुरुआत तो नहीं?

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