लखनऊ। आदिशिव ट्रांसजेंडर फाउंडेशन की ओर से रविवार को प्राइड परेड का आयोजन किया जाएगा। परेड गोमती नगर के लोहिया पार्क के गेट नंबर 4 से शुरू होकर लखनऊ के 1090 चौराहे तक निकाली जाएगी। इसको लेकर तैयारियां तेजी से चल रही है।
योजनाओं का नहीं मिल रहा है लाभ
दलित दस्तक कोआदिशिव ट्रांसजेंडर फाउंडेशन की प्रियंका सिंह रघुवंशी ने बताया कि LGBTQ समुदाय को इस का इंतजार रहता है। प्राइड परेड में 2000 से अधिक ट्रांसजेंडर वर्ग के लोग शामिल होंगे। परेड में शामिल होने के लिए यूपी अलावा महाराष्ट्र और दिल्ली समेत कई राज्यों से लोग आ रहे है। ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए ये परेड काफी अहम है।
इस प्राइड परेड में समुदाय कि मूलभूत अवश्यक्ताओं,स्वास्थ्य सेवाओं,कौशल विकास और शिक्षा पर चर्चा होगी। परेड में विभिन्न कार्यक्रम होंगे, जिसमें किन्नर, समलैंगिक, महिला बाल उत्पीड़न पर चर्चा होगी। कार्यक्रम का उद्देश्य है कि किन्नरों के प्रति समाज में जागरूकता फैलाई जाए। LGBTQ समुदाय के अधिकारों के प्रति सरकार का ध्यान आकर्षित कराना।
मास्क- द रॉक बैंड देंगे प्रस्तुति
प्रियंका रघुवंशी ने बताया कि कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक शामिल होंगे। बड़ी संख्या में सियासी, सामाजिक लोग और कलाकार शामिल होंगे। एलेक्स मयबेलीनाँ, सुशांत दिग्विकार, एकता माहेश्वरी और मास्क द रॉक बैंड अपनी प्रस्तुति देंगे। यात्रा रविवार दोपहर 2:30 बजे लोहिया पार्क से शुरू होगी और 1090 पर आकर कार्यक्रम में बदल जाएगी।
सामाजिक स्वीकृति की लड़ाई
LGBTQ समुदाय से आने वाले लोगों को हमारा समाज अभी भी स्वीकार नहीं कर रहा है। लोगों के नजरिया को बदलने की जरूरत है। किसी सामान्य घर में पैदा होने वाला बच्चा अगर किन्नर होता है तो उसमें उसकी क्या गलती। माता-पिता को चाहिए कि बच्चा किन्नर हो या जैसा भी उसे स्वीकार करें।
करना पड़ता है संघर्ष
रघुवंशी ने बताया कि आज भी हम लोगों को अपने अधिकार हासिल करने के लिए जगह-जगह संघर्ष करना पड़ता है। कागजों में जल्दी हमारा नाम नहीं चढ़ता है। ताली फिल्म ने हमारे समाज के दर्द को बयान किया। मगर कुछ ऐसी भी फिल्में आई जिन्होंने किन्नर समाज की छवि को नकारात्मक रूप में प्रस्तुत किया। आवश्यकता है कि LGBTQ समुदाय को लेकर फिल्मों की संख्या बढ़ाई जाए और उसमें सकारात्मक संदेश दिया जाए।
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।