वड़ोदरा। गोधरा के पास मोहलोल गांव के मंदिर में लड़कियां गौरी-व्रत की पूजा करने के लिए जाना चाहती थीं, लेकिन दलित समुदाय से होने के चलते पुजारियों ने उन्हें मंदिर में घुसने से मना कर दिया. लड़कियों ने आरोप लगाया कि मंदिर के पुजारी ने वहां उन्हें मंदिर के बाहर भी पूजा करने से रोका क्योंकि वह दलित समाज से हैं. यह मामला 8 जुलाई को उस वक्त सामने आया, जब मंदिर के पुजारी बाबू भट्ट ने लड़की को मंदिर से बाहर धक्का दे दिया. लड़कियों के पिता गोपाल मोची ने अपनी ओर से दर्ज शिकायत में पुलिस को बताया कि व्रत की शुरुआत से ही पुजारी उन्हें मंदिर में नहीं जाने दे रहा था क्योंकि वे वाल्मीकि समुदाय से हैं.
मोची ने कहा कि पुजारी लड़कियों को बीते दो दिनों से मंदिर जाने से रोक रहा है, लेकिन लड़कियां हमें बता नहीं रही थीं. लेकिन, शनिवार को जब स्थिति ज्यादा बिगड़ तब उन्होंने हमें इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस मामले को निपटाने के लिए पुजारी से मिलने गया. लेकिन, उनके बेटे नीलेश ने कहा कि उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं है और वह चाहें तो पुलिस के पास भी जा सकते हैं.
मोची ने कहा कि नीलेश ने मुझे गालियां देते हुए कहा कि यदि लड़कियां मंदिर में प्रवेश करती हैं तो परिसर अशुद्ध हो जाएगा. मोची ने कहा कि हम लोग उस मंदिर में नहीं जाते हैं क्योंकि हमारे समुदाय का दूसरा मंदिर है, लेकिन उसके बंद होने के चलते लड़कियां उस मंदिर में चली गई थीं. जब मामला बातचीत से नहीं निपटा, तब मोची ने पुलिस में धमकी और एससी-एसटी ऐक्ट के तहत केस दर्ज कराया. मोची ने पुजारी, उसके बेटे और एक अन्य व्यक्ति मधु मेहता के खिलाफ केस दर्ज कराया. हालांकि पुलिस अब तक किसी को अरेस्ट नहीं कर पाई.
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