कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने किसान आंदोलन के बीच किसानों को नैतिक समर्थन देने का फैसला लिया है। वे आज 4 फरवरी सुबह ही किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसान समर्थक एवं प्रदर्शनकारी श्री नवरीत के घर उत्तर प्रदेश के रामपुर जा रही हैं। नवरीत की मौत ट्रैक्टर परेड के दौरान के दौरान हो गयी थी। नवरीत किसान आंदोलन का समर्थन करने के लिए आस्ट्रेलिया से भारत आए थे।
किसान पक्ष का कहना है की उनकी मौत गोली लगने से हुई है लेकिन पुलिस का कहना है कि नवरीत की मौत ट्रैक्टर पलटने से लगी चोट के कारण हुई है। इस मुद्दे पर किसानों में भारी गुस्सा है और वे न्याय की मांग कर रहे हैं। इसी मुद्दे पर किसानों का दर्द साझा करने के लिए प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में रामपुर ज़िले के बिलासपुर के गांव डिबडिबा गाँव की तरफ निकल चुकी हैं। प्रियंका की इस अचानक होने वाली यात्रा के गहरे राजनीतिक मतलब निकाले जा रहे हैं।
बीते कुछ दिनों में किसान नेता राकेश टिकैत की भावुक अपील के बाद किसान आंदोलन में नई जान आ गयी है। टिकैत के आंसुओं से न केवल आंदोलन को संजीवनी मिल गयी है बल्कि एक सर्वमान्य नेता भी मिल गया है। इस महत्वपूर्ण बदलाव के बाद अचानक हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लाखों-लाख किसान सरकार के खिलाफ एकजुट होने लगे हैं। इस सबके बीच कांग्रेस ने राजनीतिक वातावरण में संभावित बदलाव को भांप लिया है।
जींद में मंगवार (3 फरवरी) को हुई किसान महापंचायत में हजारों किसानों को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा है कि ‘कानून वापसी नहीं हुई तो गद्दी वापसी होगी’। टिकैत की इस धमकी के बड़े राजनीतिक अर्थ निकाले जा रहे हैं। ऐसे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय के किसानों में सत्तारूढ़ केंद्र एवं राज्य सरकार के खिलाफ रुझान बन रहा है। राजनीतिक विश्लेषक यह कयास लगा रहे हैं कि इसी रुझान का लाभ लेने के लिए प्रियंका ने नवरीत की मौत के मुद्दे पर जमीन पर उतरने का फैसला लिया है।
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