नई दिल्ली। पीएसयू और बैंकिंग सेक्टर में आरक्षण को लेकर मोदी सरकार ने बड़ा फैसला किया है. अब पब्लिक सेक्टर कंपनियों (PSU) और सरकारी वित्तीय संस्थानाओं (सरकारी बैंक और बीमा कंपनियां) में काम करने वाले ओबीसी अधिकारियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकेगा. अबतक ये लाभ उनके बच्चों को मिलता रहा है. मोदी सरकार ने आज ये अहम फ़ैसला लिया है. फ़ैसले का मक़सद आरक्षण का लाभ इन संस्थानों में छोटे पदों पर काम कर रहे ओबीसी कर्मचारियों तक पहुंचाना है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह क्रीमी लेयर की सीमा 6 लाख रुपए से बढाकर 8 लाख रुपए की दी थी। उन्होंने बताया कि क्रीमी लेयर की सीमा तय करने का आधार महंगाई को बनाया जाता है। जेटली ने कहा कि क्रीमी लेयर के लिए सालाना आदमनी और सामाजिक स्थिति को आधार बनाया जाता है।
देशभर में क़रीब 300 पब्लिक सेक्टर की कंपनियां हैं जिनमें एनटीपीसी (NTPC), ओएनजीसी (ONGC), सेल (SAIL), भेल (BHEL), आईओसी (IOC) और कोल इंडिया (COAL INDIA) जैसी कंपनियां शामिल हैं. वहीं सरकारी वित्तीय संस्थानों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा और पंजाब नेशनल बैंक जैसे सरकारी बैंक और एलआईसी जैसी सरकारी बीमा कंपनियां शामिल हैं.
पीएसयू, बीमा कंपनियों और सरकारी बैंकों के अधिकारियों के बच्चे अब ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं ले सकेंगे. ऐसी कंपनियों-संस्थाओं में अब नीचे के स्तर पर कार्यरत कर्मचारियों के बच्चों को ही ओबीसी आरक्षण का लाभ मिलेगा. इससे पहले सरकार ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का निर्णय ले चुकी है. हालांकि अभी इस फैसले के लागू होने में संसद की बाधा बरकरार है.
क्यों हुआ ये फ़ैसला?
दरअसल मंडल कमीशन की सिफ़ारिशें लागू होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 1992 में इंदिरा साहनी केस में फ़ैसला सुनाते हुए सरकार को निर्देश दिया था कि ओबीसी के अंदर सामाजिक और आर्थिक रूप से संपन्न लोगों को आरक्षण की परिधि से बाहर का एक फॉर्मूला बनाया जाए. इसके बाद सरकार की एक विशेषज्ञ कमिटी ने क्रीमी लेयर का फॉर्मूला तैयार किया था. इस फॉर्मूला के तहत क्रीमी लेयर के छह पैमाने बनाए गए जिनमें आय के अलावा पद को भी शामिल किया गया.
केंद्र और राज्य सरकारों के तहत आने वाले ग्रुप ‘ए’ और ग्रुप ‘बी’ अधिकारियों को क्रीमी लेयर के तहत माना गया जिन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है. लेकिन 24 साल बीतने के बाद भी पब्लिक सेक्टर कंपनियों और सरकारी वित्तीय संस्थानों में सरकारी सेवा के ग्रुप ए और बी का समकक्ष अभी तक निर्धारित नहीं किया गया था. जिसके चलते इन संस्थानों में काम कर रहे अधिकारियों के बच्चों को आरक्षण का लाभ मिल रहा था. आज मोदी सरकार ने इस विसंगति को दूर कर दिया है.

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