नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जिस तरह चुनाव के बीच राजीव गांधी को घसीटा गया है, उसने प्रबुद्ध वर्ग के बीच पीएम मोदी की छवि को धूमिल कर दिया है. देश भर में प्रबुद्ध समाज द्वारा मोदी के बयानों की आलोचना हो रही है. इसी क्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने तो मोदी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. दिल्ली विश्वविद्यालय के 207 प्रोफेसर्स ने पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की निंदा करते हुए एक सार्वजनिक बयान जारी किया है. इन प्रोफेसर्स ने अपने बयान में मोदी के बयान को ‘अपमानजनक और झूठा’ करार दिया है.
गत शनिवार को उत्तर प्रदेश के बस्ती में एक रैली के दौरान पीएम मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर राफेल मुद्दे को लेकर निशाना साधा. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा था- ‘देश आपके पिता को बेशक ‘मिस्टर क्लीन’ के नाम से जानता है, लेकिन मिस्टर क्लीन का जीवनकाल ‘भ्रष्टाचारी नंबर 1′ के रूप में खत्म हुआ था.’
मोदी के इसी बयान को लेकर तमाम लोगों ने उनकी आलोचना की थी. इसमें कई पूर्व नौकरशाह से लेकर पत्रकार और शिक्षक शामिल हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर्स ने अपने सार्वजनिक बयान में कहा है कि, ‘देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले दिवंगत राजीव जी के बारे में नरेंद्र मोदी ने अपमानजनक और झूठा बयान जारी कर प्रधानमंत्री कार्यालय की प्रतिष्ठा कम की है. कोई भी प्रधानमंत्री इस पर स्तर तक ‘नीचे’ नहीं आया.’
सार्वजनिक बयान में साल 1999 के कारगिल युद्ध और टेलिकम्यूनिकेशन रिवॉल्यूशन का भी जिक्र है. बयान में कहा गया है- ‘जब कारगिल से हमारे जवानों ने घुसपैठियों को खदेड़ा तो वह बोफोर्स गन के लिए राजीव गांधी की प्रशंसा करते हुए नारे लगा रहे थे.’ बयान में कहा गया है कि आज अगर रेल की यात्रा ज्यादा आसान है तो वह पूरी तरह से राजीव गांधी की वजह से है क्योंकि उन्होंने रेल रिजर्वेशन को कंप्यूटराइज्ड किया था. इस बयान पर दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स असोसिएशन के आदित्य नारायण मिश्रा, DU के दो एग्जीक्यूटिव काउंसिल मेंबर, तीन एकडमिक काउंसिल मेंबर्स, डूटा के वाइस प्रेसिडेंट और ज्वाइंट सेक्रेटरी का नाम शामिल है.
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