नई दिल्ली- जिस काशी और अयोध्या के बूते भाजपा यूपी की सत्ता में दुबारा आने की राह तैयार करने में जुटी है, उसी काशी के साधुओं ने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के सपनों पर पानी फेरने का ऐलान कर दिया है।
14 दिसंबर को एबीपी न्यूज में दिखाई गई एक चर्चा में साधुओं ने धर्म की राजनीति करने पर मोदी और भाजपा को न सिर्फ घेरा, बल्कि बेरोजगारी और महंगाई की बात कर सबको चौंका दिया। साधुओं ने जब एक के बाद एक मुद्दे गिनाने शुरू किये तो चैनल के दफ्तर में बैठी एंकर भी तिलमिला गई, और एजेंडा सेट न होता देख साधुओं का वीडियो बंद कर दिया गया।
वीडियो में साफ दिख रहा है कि जब चैनल का रिपोर्टर साधुओं से धर्म को लेकर बात करना चाहता है, साधु बेरोजगारी और महंगाई का मुद्दा उठा देते हैं। साथ ही धर्म की राजनीति को लेकर पीएम की आलोचना से भी नहीं चूकते। ऐसे में पहले तो चैनल की एंकर और रिपोर्टर द्वारा साधुओं को अपने धर्म के एजेंडे पर लाने की कोशिश की जाती है और जब साधु लगातार भाजपा पर धर्म की राजनीति को लेकर सवाल उठाते हैं तो उनका वीडियो बंद कर दिया जाता है।
यहां एक सवाल तो यह उठ रहा है कि न्यूज चैनलों पर जिस तरह भाजपा का एजेंडा सेट करने का आरोप लगता रहा है, भाजपा के विरोध में बोलने वाले साधुओं का वीडियो बंद कर देने से क्या वो आरोप साबित नहीं होते? क्योंकि चैनल भाजपा और मोदी पर सवाल उठाने वालों का वीडियो तक चलाना नहीं चाहते हैं। और दूसरा सवाल यह है कि मीडिया को अपने खेमे में कर के देश की जनता पर अपने मुद्दे थोपने की कोशिश में लगी भाजपा क्या ऐसा करने में फेल हो गई है?
क्योंकि पीएम मोदी से लेकर सीएम योगी तक, जिस धर्म के नाम पर यूपी और तमाम प्रदेशों सहित केंद्र की सियासत जीतने की तैयारी में लगे हैं, वैसा होता तो नहीं दिख रहा। क्योंकि जब धर्म का आवरण ओढे साधु ही धर्म की राजनीति पर सवाल उठा दें और बेरोजगारी और महंगाई को मुद्दा बताने लगे तो फिर साफ है कि भाजपा के लिए यूपी और अन्य प्रदेशों में चुनावी जीत की राह मुश्किल है।

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