
पुणे बुक फेस्टिवल में पढ़े लिखे,नौकरी वाले,अफसर की भीड़ में कोई लड़की कचरा इकठ्ठा करती थी, ध्यान किसी का नहीं था। पर कचरा इकठ्ठा करने वाले बाप पर लगा जिसने अपनी दुनिया बदल दी। आज पुणे बुक फेस्टिवल का आखिरी दिन है और कचरा इकट्ठा करते समय इस बहन ने स्टॉल पर बैठे लड़के से कहा- ‘मुझे ये बाप आदमी की किताब चाहिए, कितने पैसे हुए? पुस्तक महोत्सव में सभी पाठक उच्च, पढ़े लिखे लोग थे। किताब खरीदने के लिए भीड़ उमड़ गई है। लेकिन इस भीड़ में इस बहन के शब्द मेरे कान पर गिर गए।
मेरे मन में आया “पुस्तक महोत्सव में शामिल सभी हस्तियां एक तरफ और यह पाठक बहन एक तरफ। एक हाथ में कचरे का थैला और दूसरे हाथ में #बाप आदमी नाम की किताब लिए खड़ी इस बहन को देखा तो अपने आप आंखों में आंसू आ गए। लगा कि ये है किताब महोत्सव की सबसे बड़ी हस्ती।

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।