26 सालों तक एक आईपीएस अधिकारी के रूप में आंध्रप्रदेश और तेलंगाना राज्य को अपनी सेवाएं देने के बाद डॉ. आर.एस प्रवीण कुमार अब राजनीति में आ रहे हैं। हमें जो खबर मिली है, उसके मुताबिक अंबेडकरवादी आईपीएस अधिकारी आर.एस. प्रवीण कुमार बहुजन समाज पार्टी ज्वाइन करने जा रहे हैं। सूचना यह भी है कि वह तेलंगाना में बसपा को सत्ता में लाने के लिए काम शुरू करेंगे। खबर यह भी मिली है कि बसपा प्रमुख बहन मायावती उन्हें तेलंगाना में बड़ी जिम्मेदारी दे सकती हैं। इसकी आधिकारिक घोषणा अगस्त महीने में होने की उम्मीद है।
आर. एस. प्रवीण हाल ही में बहनजी से मुलाकात कर चुके हैं। इस मुलाकात के बाद ही उन्होंने अपने पद से वोलेंटरी रिटायरमेंट का फैसला किया है। 19 जुलाई को उन्होंने इसके संबंध में ट्विटर पर रिटायरमेंट को लेकर सूचना दी थी। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा था कि वह सामाजिक न्याय और समानता के लिए काम करेंगे, जोकि उनका जुनून है।
डॉ. प्रवीण 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और फिलहाल एडीजीपी के पद पर थे। एक आईपीएस अधिकारी रहने के बावजूद वह लगातार समाज के कमजोर वर्ग की शिक्षा और बेहतरी के लिए सोचते और काम करते रहें। उन्होंने नौकरी में रहते हुए अमेरिका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में कुछ समय तक पढ़ाई की, जहां से लौटने के बाद साल 2012 में उन्होंने तेलंगाना के मुख्यमंत्री से अनुरोध कर तेलंगाना सोशल वेलफेयर एंड रेजिडेंशियल स्कूल के सचिव का पद संभाला, जहां समाज के हाशिये पर पड़े दलित-आदिवासी समाज के बच्चे अपनी जिंदगी बेहतर करने पहुंचते हैं। हालांकि जब आर.एस प्रवीण ने सचिव का पद संभाला तो रेजिडेंशियल स्कूल की हालत खराब थी, लेकिन उन्होंने जल्दी ही इस रेजिडेंशियल स्कूल का नक्शा बदल दिया और सफलता की गाथा लिख दी। यह आर.एस. प्रवीण की मेहनत और दूरदर्शिता का ही नतीजा रहा कि रेजिडेंशियल स्कूल की सफलता को समझने के लिए हार्वर्ड युनिवर्सिटी में शोध हुआ।
आर.एस. प्रवीण की प्रेरणा से ही रेजिडेंशियल स्कूल की आदिवासी समाज की छात्रा पूर्णा मलवथ ने २५ मई २०१४ को सबसे कम उम्र में एवरेस्ट पर पहुंचने वाली लड़की होने का वर्ल्ड रिकार्ड बनाया। तो पूर्णा के साथ दलित समाज के आनंद ने भी एवरेस्ट फतह किया, जहां उन्होंने बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर की तस्वीर हाथों में लेकर उन्हें याद किया। आनंद संभवतः पहले दलित हैं, जिन्होंने एवरेस्ट की चढ़ाई सफलता पूर्वक की थी। जाने-माने अभिनेता राहुल बोस ने पूर्णा की सफलता पर एक फिल्म पूर्णा बनाई थी, जिसमें आर.एस. प्रवीण के काम को दिखाया गया है। इस फिल्म में आर.एस. प्रवीण का किरदार खुद राहुल बोस ने निभाया था।
जहां तमाम अधिकारी बड़े पद पर जाने के बाद मिशन-मूवमेंट को भूल जाते हैं, डॉ. आर.एस प्रवीण हमेशा समाज को जगाने में लगे रहें। पिछले आठ साल से उनके मार्गदर्शन में तेलंगाना में भीम दीक्षा कार्यक्रम भी चल रहा है, जो हर साल मान्यवर कांशीराम की जयंती 15 मार्च से लेकर बाबा साहेब डॉ. आंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल तक चलती है। इस दौरान बहुजन नायकों की शिक्षाओं के बारे में चर्चा होती है।
अंबेडकरी-फुले मूवमेंट के सिपाही डॉ. आर. एस प्रवीण कुमार मान्यवर कांशीराम से काफी प्रभावित हैं। जहां तक तेलंगाना में उनके सियासत में उतरने की खबर है तो निश्चित तौर पर यह बड़ी खबर है। तेलंगाना में दलित समाज की आबादी 18 प्रतिशत है जोकि एक बड़ा समाज है। यही वजह है कि उनको लुभाने के लिए मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने पिछले दिनों तमाम घोषणाएं की। प्रदेश में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में निश्चित तौर पर आर.एस प्रवीण कुमार द्वारा बसपा में आने की खबर से प्रदेश में पार्टी को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। इसकी एक वजह यह भी है कि सोशल वेलफेयर एंड रेजिडेंशियल स्कूल के सचिव के रूप में उन्होंने जिस तरह से प्रदेश के हाशिये के समाज के लाखों बच्चों की जिंदगी बदल दी और उन्हें ऊंचा उड़ाने का सपना दिखाया, वो बड़ा समाज हमेशा डॉ. आर.एस प्रवीण के साथ खड़ा रहा है। निश्चित तौर पर यह बड़ा समूह आर.एस. प्रवीण के साथ बसपा के पाले में आ सकता है।
विगत 17 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय अशोक दास अंबेडकरवादी पत्रकारिता का प्रमुख चेहरा हैं। उन्होंने साल 2012 में ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ की नींव रखी। वह दलित दस्तक के फाउंडर और संपादक हैं, जो कि मासिक पत्रिका, वेबसाइट और यू-ट्यूब के जरिये वंचितों की आवाज को मजबूती देती है। उनके काम को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई में सराहा जा चुका है। वंचित समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं, जिनमें DW (जर्मनी) सहित The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspapers (जापान), The Week (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत), फारवर्ड प्रेस (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं।
अशोक दास दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में साल 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता (Investigative Journalism) के सबसे बड़े संगठन Global Investigative Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग में आयोजित कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है। वह साल 2023 में कनाडा में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में भी विशेष आमंत्रित अतिथि के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दुबई के अंबेडकरवादी संगठन भी उन्हें दुबई में आमंत्रित कर चुके हैं। 14 अक्टूबर 2023 को अमेरिका के वाशिंगटन डीसी के पास मैरीलैंड में बाबासाहेब की आदमकद प्रतिमा का अनावरण अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर नाम के संगठन द्वारा किया गया, इस आयोजन में भारत से एकमात्र अशोक दास को ही इसकी कवरेज के लिए आमंत्रित किया गया था। इस तरह अशोक, दलित दस्तक के काम को दुनिया भर में ले जाने में कामयाब रहे हैं। ‘आउटलुक’ मैगजीन अशोक दास का नाम वंचितों के लिए काम करने वाले भारत के 50 दलितों की सूची में शामिल कर चुकी है।
उन्हें प्रभाष जोशी पत्रकारिता सम्मान से नवाजा जा चुका है। 31 जनवरी 2020 को डॉ. आंबेडकर द्वारा प्रकाशित पहले पत्र ‘मूकनायक’ के 100 वर्ष पूरा होने पर अशोक दास और दलित दस्तक ने दिल्ली में एक भव्य़ कार्यक्रम आयोजित कर जहां डॉ. आंबेडकर को एक पत्रकार के रूप में याद किया। इससे अंबेडकरवादी पत्रकारिता को नई धार मिली।
अशोक दास एक लेखक भी हैं। उन्होंने 50 बहुजन नायक सहित उन्होंने तीन पुस्तकें लिखी है और दो पुस्तकों का संपादक किया है। ‘दास पब्लिकेशन’ नाम से वह प्रकाशन संस्थान भी चलाते हैं।
साल 2006 में भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से पत्रकारिता में डिप्लोमा लेने के बाद और दलित दस्तक की स्थापना से पहले अशोक दास लोकमत, अमर-उजाला, देशोन्नति और भड़ास4मीडिया जैसे प्रिंट और डिजिटल संस्थानों में आठ सालों तक काम कर चुके हैं। इस दौरान वह भारत की राजनीति, राजनीतिक दल और भारतीय संसद की रिपोर्टिंग कर चुके हैं। अशोक दास का उद्देश वंचित समाज के लिए एक दैनिक समाचार पत्र और 24 घंटे का एक न्यूज चैनल स्थापित करने का है।