कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज एक बार फिर अपनी अपरिपक्वता का सबूत दिया। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि डॉ. आंबेडकर द्वारा लिखित संविधान ही हिंदुस्तान का हथियार है। साथ ही उन्होंने यह भी कि संस्थाओं के बिना संविधान का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि हम यहां संविधान लिए घूम रहे हैं, आप और हम कह रहे हैं कि संविधान की रक्षा करनी है, लेकिन संविधान की रक्षा संस्थाओं के जरिए की जाती है। आज सभी संस्थाएं आरएसएस के हाथ में हैं।
दरअसल, राहुल गांधी दिल्ली जवाहर भवन में भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी और कांग्रेस नेता के. राजू की पुस्तक ‘द दलित ट्रूथ: द बैटल्स फॉर रियलाइजिंग आंबेडकर्स विजन’ के विमोचन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने दलित समाज के बारे में सोचना शुरू किया और यह भी बताया कैसे वह सत्ता के बीच में पैदा होने के बाद भी राजनीति में दिलचस्पी नहीं रखते। उन्होंने यह भी कहा कि दलितों के साथ भेदभाव का उल्लेख करते हुए कहा, ‘दलित और उनके साथ होने वाले व्यवहार से सबंधित विषय मेरे दिल से जुड़ा हुआ है। यह उस वक्त से है जब मैं राजनीति में नहीं था।’
अपने संबोधन में राहुल गांधी ने बसपा प्रमुख पर आरोप लगाया कि “वह इस बार चुनाव नहीं लड़ीं और भाजपा को खुला मैदान दे दिया। हमने उनसे गठबंधन करने को लेकर बात भी की और कहा कि मुख्यमंत्री बनिए लेकिन उन्होंने बात तक नहीं की। कांशीराम जी थे जिन्होंने दलितों की आवाज उठाई। मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं, भले ही उन्होंने कांग्रेस को उस वक्त नुकसान पहुंचाया लेकिन उन्होंने दलितों की आवाज उठाई। आज उन्हीं के खून पसीने से बनाई पार्टी की मायावती कहती हैं कि मैं चुनाव ही नहीं लड़ूंगी क्यों… क्योंकि इस बार उनके पीछे ईडी, सीबीआई और पेगासस सब थे।”
इसके अलावा राहुल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी पर भी निशाना साध और।कहा कि संविधान पर यह आक्रमण उस समय शुरू हुआ था जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सीने पर तीन गोलियां मारी गईं थीं।

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