राजस्थान विधानसभा चुनाव की सियासी जंग फतह करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राज्य के दौरे पर हैं. वो बुधवार को अपने दौरे के दूसरे दिन दलितों के मजबूत गढ़ बीकानेर में एक जनसभा को संबोधित करेंगे. जबकि राहुल से पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह गुरुवार को बीकानेर में दलित सम्मेलन के जरिए जातीय गणित साधने की कोशिश कर चुके हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बुधवार को बीकानेर की संकल्प रैली से पहले राजधानी जयपुर में यूथ कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में बैठक में शिकरत शामिल हुए. इस दौरान राहुल ने इस बैठक में विधानसभा और लोकसभा चुनावों में यूथ कांग्रेस की अहम भूमिका बताई.
बीकानेर की संकल्प रैली के जरिए राहुल ने राज्य की राजनीतिक समीकरण को साधने की योजना बनाई है. बीकानेर दलित बहुल इलाका माना जाता है. विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीकानेर रैली कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
बता दें कि राजस्थान में करीब 17.8 दलित फीसदी मतदाता हैं. इनमें 3.9 फीसदी हिस्सा गांवों में और 3.9 फीसदी हिस्सा शहरों में है. राज्य में कुल 200 सीटें हैं. इनमें 142 सीट सामान्य, 33 सीट अनुसूचित जाति और 25 सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं.
राजस्थान में दलित मतदाता बीजेपी का परंपरागत वोटर माना जाता है, लेकिन उपचुनाव में पार्टी से उसका मोहभंग हुआ है. इसी का नतीजा था कि कांग्रेस को जीत और बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा था. ऐसे में बीजेपी राजस्थान में अपने परंपरागत वोट बैंक दलित, राजपूत और ब्राह्मण के खिसकने से परेशान है. बीते एक दशक में दलित वोटबैंक कांग्रेस को छोड़ बीजेपी के साथ जुड़ गया है. लेकिन इस बार दलित बीजेपी का मोह छोड़ फिर से अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस की तरफ लौट सकते हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल ने ऐसे में जातीय समीकरण साधने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है. दलित समुदाय का सबसे ज्यादा वोट इसी बीकानेर संभाग में है. इसके अलावा कई सीटों पर निर्णायक भूमिका में है. बीकानेर संभाग में दो लोकसभा क्षेत्र बीकानेर और श्रीगंगानगर दलित समुदाय के लिए आरक्षित हैं. इसके अलावा 5 विधानसभा सीटें भी दलित समुदाय के आरक्षित हैं.
दलित सीटों से ज्यादा महत्वपूर्ण बात ये है कि बीकानेर संभाग में 19 विधानसभा सीटों पर दलितों का साथ आना या छिटकना हार-जीत तय करने में अहम भूमिका अदा करता है.
SC/ST एक्ट को लेकर हुए आंदोलन में जिस तरह से दलितों पर कार्रवाई हुई है, उससे वे खासा नाराज हैं. ऐसे में कांग्रेस लगातार दलितों को साधने की कोशिश में है. राहुल इसी नाराजगी को कैश कराने की जुगत में हैं.
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