जयपुर। राजस्थान के आयकर विभाग में घमासान मचा हुआ है. मामला विभागीय प्रोमोशन का है. इस दौरान अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के कर्मचारियों की अनदेखी को लेकर आरक्षित वर्ग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. लगातार अनदेखी से नाराज आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों का धैर्य तब टूट गया, जब 4 अगस्त को प्रोमोशन के लिए होने वाली DPC यानि डिपार्टमेंटल प्रोमोशन कमिटी की बैठक में एक बार फिर उनकी अनदेखी की तैयारी थी. इससे नाराज कर्मचारियों ने आमरण अनशन शुरू कर दिया है.
धरने पर बैठे कर्मचारियों का आरोप है कि आयकर विभाग राजस्थान में एससी/एसटी वर्ग के कर्मचारियों को नियमानुसार प्रोमोशन नहीं मिल रहा है. यहां यह भी साफ कर देना जरूरी है कि ये प्रोमोशन में रिजर्वेशन का मामला नहीं है, बल्कि यह विभागीय प्रोमोशन जिसमें नियमानुसार सीनियर कर्मचारियों का प्रोमोशन पहले होना चाहिए उससे जुड़ा मामला है. अनशनकारियों का आरोप है कि प्रशासन तमाम कायदे कानून को ताक पर रख कर सामान्य श्रेणी के जूनियर कर्मचारियों का प्रोमोशन पहले कर दे रहा है, जबकि एससी/एसटी वर्ग के सीनियर कर्मचारियों की अनदेखी की जा रही है. उनका आरोप है कि यह कर्मचारियों के मौलिक और संवैधानिक अधिकारों का हनन है.
इस मामले को इस तरह और बेहतर समझा जा सकता है. मान लिजिए कि किसी विभाग में 10 सबसे सीनियर कर्मचारियों का प्रोमोशन होना है. इसमें तीन कर्मचारी एससी/एसटी वर्ग के हैं. नियमानुसार उनका भी प्रोमोशन होना चाहिए. लेकिन राजस्थान का आयकर विभाग इन तीनों कर्मचारियों को प्रोमोशन नहीं देकर बाद के उनसे जूनियर कर्मचारियों को प्रोमोशन दे दे रहा है, जो विभागीय और संवैधानिक नियमों का खुल्लम- खुल्ला उल्लंघन है.
4 अगस्त से जयपुर में अपने विभाग में आमरण अनशन पर बैठे एससी/एसटी वर्ग के अधिकारी और कर्मचारी 24 घंटे के बाद भी विभाग के कैंपस में ही डटे हुए हैं. इस अनशन में सौ से ज्यादा कर्मचारी शामिल हैं. राजस्थान आयकर विभाग का यह मनमाना रवैया पिछले कई सालों से बना हुआ है, जिसके खिलाफ आखिरकार आरक्षित वर्ग के कर्मी आर-पार की लड़ाई के लिए उतर गए हैं. उनका कहना है कि बिना न्याय
मिले वो अनशन से हटेंगे नहीं.
नियमानुसार दलित और आदिवासी वर्ग के कर्मचारियों का प्रोमोशन नहीं करना सीधे तौर पर राजस्थान आयकर विभाग के जातीय विद्वेष को दिखाता है. यहां यह भी ध्यान देना जरूरी है कि आयकर विभाग केंद्र सरकार के तहत आता है और केंद्र में फिलहाल भाजपा की सरकार है, जिसके बड़े नेता दलितों के घर घूम-घूम कर खाना खाने को तो तैयार हैं, लेकिन उन्हें उनका हक देने से कतरा रहे हैं.

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