जब देश में भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता की कवायद जोर पकड़ने लगी है, ऐसे में एक मांग एससी, एसटी और ओबीसी के नेतृत्व वाले राजनीतिक दलों के बीच आपसी एकता की चर्चा भी शुरू हो गई है। दिल्ली सरकार में पूर्व मंत्री और सीमापुरी से विधायक राजेन्द्र पाल गौतम ने इसको लेकर अभियान चलाने का ऐलान किया है। मिशन जय भीम के तहत बहुजन समाज के मुद्दों को लगातार उठा रहे हैं। राजेन्द्र पाल गौतम ने 27 जून को एक प्रेस कांफ्रेंस कर विपक्षी एकता के बीच बहुजन समाज के नेतृत्व वाले दलों के बीच राजनीतिक एकता का मुद्दा उठाया।
राजेन्द्र पाल गौतम ने कहा कि तमाम राजनैतिक लड़ाईयों के बावजूद क्या समाज से जुड़े अहम मुद्दों पर दलितों-पिछड़ों के नेतृत्व वाले राजनीतिक दलों को साथ नहीं आना चाहिए। उन्होंने कहा कि वो समाज के बीच जाएंगे और उन्हें इसके लिए तैयार करेंगे कि वो राजनीतिक दलों पर दबाव बनाएं। उन्होंने बसपा सुप्रीमो मायावती, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, एम. के. स्टॉलिन और चंद्रशेखर आजाद जैसे नेताओं को दलितों-पिछड़ों के विकास से जुड़े मुद्दों पर एक साथ आने की मांग की।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के दिल्ली के जगन्नाथ मंदिर में प्रतिमा को दूर से प्रणाम करने को लेकर भी उन्होंने सवाल उठाया। दरअसल सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों को आधार बनाते हुए राजेन्द्र पाल गौतम ने कहा कि दलित और पिछड़े समाज के गरीब लोगों के साथ भेदभाव होता ही है, लेकिन राष्ट्रपति बनने के बाद भी हमारे समाज के लोगों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
राजेन्द्र पाल गौतम ने अन्य कई अहम मुद्दों पर भी अपनी बात रखी। उनकी पूरी बातचीत देखने के लिए दलित दस्तक यू-ट्यूब चैनल पर चल रहे उनका यह वीडियो देखिए-