22 जनवरी को अयोध्या में हुए राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा की चर्चा दुनिया भर में है। लेकिन सोशल मीडिया पर जिस तरह अंबेडकरी समाज के एक समूह द्वारा विरोध स्वरूप #22जनवरी_22प्रतिज्ञा की बात कही गई, उसमें सवाल उठता है कि क्या यह टकराव सही है। इस बारे में दलित दस्तक के संपादक अशोक दास ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और अंबेडकरवादी नितिन मेश्राम से चर्चा की। लिंक पर जाकर देखिए पूरा वीडियो।
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।