अयोध्या। अयोध्या में विवादित स्थल पर किसी भी तरह के निर्माण पर रोक के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बीच यहां दो ट्रक लाल पत्थर पहुंचे हैं. खबरों के मुताबिक सोमवार को यहां राजस्थान के भरतपुर से दो ट्रक लाल पत्थर पहुंचा है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि ये पत्थर राम मंदिर निर्माण के लिए भेजा गया है. राम मंदिर के निर्माण के लिए पत्थर पहली बार नहीं पहुंचे हैं. इससे पहले साल 2015 में भी ट्रक भेजे गए थे. लेकिन अखिलेश सरकार ने उन ट्रकों को वापस भेज दिया था. बता दें कि अयोध्या में विवादित जमीन पर मालिकाना हक की सुनवाई के लिए अदालत में मुकदमा चल रहा है.
अयोध्या में काफी दिनों से राम मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों को तराशने का काम भी चल रहा है. अयोध्या के रामघाट स्थित मंदिर निर्माण कार्यशाला में साल 1991-92 से पत्थर तराशे जा रहे हैं. बीच में इस काम में चार से पांच सालों के लिए रुकावट पेश आई लेकिन पिछले चार सालों से फिर से पत्थरों को मंदिर बनाने के अनुरुप काटा जाने लगा है. कुछ साल पहले तक यहां ढाई से तीन दर्जन कारीगर पत्थर तराशने का काम करते थे लेकिन बीच में ये संख्या दस से पंद्रह के बीच रह गई थी.
वीएचपी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक पिछली सरकार के दौरान जब भी पत्थरों को लाने को कोशिश की जाती थी, टैक्स और खनन आदि नियमों का हवाला देकर अधिकारियों द्वारा इसे रुकवा दिया जाता था, लेकिन अब राज्य में बीजेपी की सरकार बनने के बाद आसानी से पत्थर आ रहे हैं. बता दें कि इधर हाल के दिनों में बाबरी मस्जिद विध्वंस के मामले में भी सुनवाई ने रफ़्तार पकड़ी है. सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल को इस मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार समेत कुछ दूसरे नेताओं के खिलाफ आपराधिक षड़यंत्र रचने के आरोप को फिर से लगाया है.
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।