चंडीगढ़/सिरसा़। सुनारिया जेल में दुष्कर्म की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत के पैरोल में बड़ा पेंच फंस गया है. किसी तरह से जेल से बाहर आने की कोशिश में लगे गुरमीत के बारे में बड़ा खुलासा हुआ है. उसने खेती के नाम पर 42 दिनों का पैरोल मांगा है, लेकिन जांच मेंं सामने आया है कि उसके नाम पर न तो कोई खेत है और न ही वह काश्तकार है. इस बीच राम रहीम की पैरोल पर सीएम मनोहर लाल ने कहा कि कुछ कानूनी प्रक्रियाएं हैं. पैरोल लेने का अधिकार रखने वाला व्यक्ति इसकी तलाश कर सकता है. हम ऐसा करनेे से किसी को रोक नहींं सकते. हालांकि अभी तक राम रहीम की पैरोल पर कोई फैसला नहीं हुआ है. उधर, छत्रपति साहू के बेटे अंशुल ने कहा कि अगर राम रहीम को पैरोल दी जाती है तो वह इसके खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.
दूसरी ओर, हरियाणा सरकार ने गुरमीत के प्रति पॉजिटिव रुख दिखाया है. ऐसे में दो साध्वियों से दुष्कर्म के मामले में सुनारिया जेल में सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के पैराेल पर जेल से बाहर आने को लेकर सस्पेंस गहरा गया है. पूरे मामले में विपक्ष भी कुछ नहीं बोल रहा है. पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि यह तो सरकार की मर्जी है और उसे फैसला लेना है.
हरियाणा के जेल मंत्री कृष्णलाल पंवार ने कहा कि इस बारे में निर्णय प्रशासन लेगा, लेकिन गुरमीत पैराेल का हकदार है. जेल में उसका आचरण अच्छा रहा है. इसके साथ ही स्वास्थ्य व खेल मंत्री अनिल विज ने भी गुरमीत राम रहीम को पैराेल दिए जाने का समर्थन किया है. हरियाणा के गृह सचिव ने कहा है कि गुरमीत राम रहीम की अर्जी पर अभी विचार किया जा रहा है.
सिरसा के तहसीलदार ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि सिरसा में गुरमीत राम रहीम के नाम न तो कोई खेती योग्य जमीन है और न ही वह काश्तकार (ठेके पर खेती करने वाला) है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सिरसा में जो चल-अचल संपत्ति है, वह डेरा सच्चा सौदा के नाम दर्ज है. ऐसे में पैरोल के लिए खेती करने के मामले में पेंच फंस गया है. डेरा प्रमुख के नाम जमीन संबंधी जानकारी पुलिस ने सिरसा के तहसीलदार से मांगी थी. तहसीलदार ने अपनी रिपोर्ट पुलिस को सौंप दी है. उधर, डीसी ने सिरसा एसडीएम से भी पैरोल के संबंध में रिपोर्ट मांगी है.
Read it also-पर्यावरण संरक्षण की अनोखी पहल पहल
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।