नई दिल्ली। मुरादाबाद के एक छोटे से गांव से निकल कर रवि ने पूरे विश्व में भारत का परचम लहराया है. रवि कुमार ने विभिन्न देशों की ऊंची चोटियों पर भारतीय झंडा फहराया है. वह जहां भी जाते हैं बाबा साहेब का फोटो अपने साथ लेकर चलते हैं. पर्वतारोही रवि कुमार ने सर्वप्रथम वर्ष 2010 में अफ्रीका की उच्चतम चोटी किल मंजरो को फतह किया, वर्ष 2014 में एशिया नेपाल की आइसलैंड पीक को फतह किया. फिर 15 अगस्त 2014 को यूरोप की चोटी माउन्ट ऐलवेरा और 26 जनवरी 2015 तो आस्ट्रेलिया की हाइजेस्ट चोटी माउन्ट कोसीयूसजको पर भी भारतीय झण्डा लहराया. 2014 में एवरेस्ट पर हिमस्खलन हुआ जिसके कारण इनके 25 पर्वतारोही साथी की मौत हो गई और नेपाल सरकार ने एवरेस्ट पर जाने से मना कर दिया. जिसके कारण यह एवरेस्ट फतेह करने की चाह अधूरी रह गई.
रवि कुमार को 2010 में डॉ. अम्बेडकर सदभावना अवार्ड और 2011 में भीम रत्न अवार्ड से सम्मानित किया गया. इसके अतिरिक्त भी रवि कुमार को कई सम्मान और अवार्ड मिल चुकें हैं. अब इनका लक्ष्य माउंट एवरेस्ट फतेह करना है. रवि कुमार का जन्म मुरादाबाद के एक छोटे से गांव के सामान्य परिवार में हुआ. दुनिया की सबसे ऊंची माउंट एवरेस्ट जिसकी ऊंचाई 8,848 मीटर है, फतह करने का सपना देख रहा है. रवि कुमार इस सपने को पूरा करने के लिए पिछले कई वर्षो से प्रयासरत है. एवरेस्ट को फतह करने के क्रम में उसके द्वारा अनेक देशों की विभिन्न चोटियों को फतेह किया जा चुका है.
रवि कुमार की प्रारंभिक शिक्षा गांव के प्राइमरी स्कूल से ही शुरू हुई. फिर पिता हरकेश सिंह जी का ट्रांसफर बिजनौर जनपद के नगीना में हो गया. माध्यमिक शिक्षा नगीना के सरस्वती शिशु मंदिर से प्राप्त की, उसके बाद आगे की शिक्षा मुरादाबाद के प्रतिष्ठित चित्रगुप्त इण्टर कॉलेज से प्राप्त की. रवि कुमार पढ़ाई के साथ-साथ कॉलेज में होने वाले अन्य कार्यक्रम और आयोजन में भी भाग लेता रहा जैसे स्काउटिंग, राष्ट्रीय सेवा योजना, निबंध प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता आदि. स्काउटिंग प्रतियोगिता में वर्ष 2006 में उसकी मेहनत पर राज्यापाल पुरस्कार प्राप्त हुआ. गोरेगांव न्यूजीलैंड हॉस्टल, मुंबई में आयोजित कार्यक्रम के दौरान स्काई डायवर अप्पासाहब दत्त जी से हुई. जिनके विचारो से प्रेरणा लेकर उसके दिल में एवरेस्ट फतेह करना का जज्बा पैदा हुआ. और इसी लक्ष्य के को पाने के लिए उसने पर्वतारोहण के क्षेत्र में कदम बढ़ाना शुरू कर दिया और भारत के जाने-माने 4 पर्वतारोहण केंद्रों से प्रशिक्षण प्राप्त किया.
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