बहुजन समाज पार्टी की आज लखनऊ में बैठक हुई। इसमें यूपी के सभी मंडल व जिला कमेटी के पदाधिकारियों को बुलाया गया। बैठक में देश और प्रदेश के हालात, संगठन की मजबूती, जिलों में पार्टी की प्रगति रिपोर्ट आदि पर चर्चा हुई। बैठक में आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर भी बसपा प्रमुख मायावती ने पार्टी के पदाधिकारयों को तमाम निर्देश दिये। और भाजपा सहित अन्य विपक्षी दलों से निपटने की रणनीति पर भी चर्चा हुई। बैठक में बहनजी ने फिर से महंगाई, बेरोजगारी, अशिक्षा और शांति व्यवस्था का मुद्दा उठाया और इसके लिए केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार पर हमला बोला।बहनजी ने भाजपा की सांप्रदायिकता की राजनीति पर उसे आड़े हाथों लिया। यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी और इसकी सरकारें जातिवादी, सांप्रदायिक व धार्मिक विवादों को जानबूझकर पूरी छूट व शह दे रही है। इसके कारण न सिर्फ तमाम प्रदेश बल्कि देश की प्रगति भी प्रभावित हो रही है।बहनजी ने मणिपुर का मुद्दा भी उठाया और उस पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि स्वार्थ की राजनीति का परिणाम है कि मणिपुर में नफरती हिंसक वारदात की आग थमने का नाम नहीं ले रही है। उन्होंने प्रभावी कार्रवाई और गंभीरता की जरूरत बताया।
बहनजी ने भाजपा को घेरते हुए देश में दलितों के ऊपर हर रोज हो रहे अत्याचार पर भी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि सबसे साथ न्याय करने का संवैधानिक कर्तव्य निभाने के बजाय खासकर दलित व समुदाय विशेष के विरुद्ध भेदभाव एवं द्वेषपूर्ण रवैया संबंधी खबरें अखबारों में हर दिन भरी रहती है, जो कि सही नहीं है।
हालांकि इस दौरान बहनजी के निर्देशों के अलावा एक अन्य मामले की भी चर्चा पार्टी पदाधिकारियों के बीच लगातार होती रही। दरअसल बसपा के लखनऊ कार्यालय में बाबासाहेब आंबेडकर, बसपा के संस्थापक मान्यवर कांशीराम और बहनजी की आदमकद प्रतिमा लगी हुई है। सुबह जब पार्टी पदाधिकारी बैठक में हिस्सा लेने के लिए पार्टी कार्यालय पहुंचे तो वहां पर मूर्तियों को नहीं देखा। इसके बाद सवाल उठने लगा कि आखिर यहां लगी मूर्तियां कहां गई? पार्टी अधिकारियों से इस मामले में पूछताछ शुरू की गई। इसके बाद मूर्तियों को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई। पता चला कि पार्टी कार्यालय में लगी तमाम मूर्तियों को बसपा सुप्रीमो मायावती के आवास में शिफ्ट कर दिया गया है।
अब इसको लेकर पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की चिंता शुरू हो गई है। दरअसल बहनजी महापुरुषों की जयंती के मौके पर पार्टी कार्यालय पहुंच कर वहां लगी मूर्तियों पर श्रद्धासुमन समर्पित करती रही हैं। इस दौरान बड़ी संख्या में देश भर से पार्टी के पदाअधिकारी और कार्यकर्ता भी पहुंचते हैं। ऐसे में मूर्तियों को उनके घर में शिफ्ट किए जाने को लेकर सवाल उठने लगा कि कि महापुरुषों की जयंती के मौके पर भी क्या बसपा सुप्रीमो अब पार्टी दफ्तर नहीं आएंगी।
अगर ऐसा है तो यह बहुजन समाज पार्टी के साथ-साथ दुनिया के तमाम हिस्सों में अंबेडकरी आंदोलन को बढ़ाने में लगे लोगों के लिए चिंता की बात है। आने वाले दिनों में इसको लेकर बहस तेज हो सकती है।