गोरखपुर। बाबा राघवदास (बीडीआर) मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकीय लापरवाही से बीते 48 घंटों के दौरान 35 अन्य बच्चों की मौत हो गयी है. जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है कि बीते 10 से 12 अगस्त के बीच करीब 35 बच्चों की जानें चली गयी हैं. बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के मामले में डीएम की ओर से दी गई रिपोर्ट नए विवाद को जन्म दे दिया है.
स्थानीय प्रशासन की जांच में मौतों का सही कारण नहीं बताया गया है. वहीं, ऑक्सिजन सप्लायर को जिम्मेदार ठहराया गया है. हैरानी की बात यह है कि अभी तक यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार इन मौतों के लिए ऑक्सिजन की कमी को जिम्मेदार मानने से इनकार करती रही है.
डीएम की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑक्सिजन की खरीद और रीफिलिंग से जुड़ी लॉग बुक में कई जगह ओवर राइटिंग है. रिपोर्ट में पुष्पा सेल्स को लिक्विड ऑक्सिजन की सप्लाइ रोकने का जिम्मेदार ठहराया गया है. इसके अलावा, तत्कालीन प्रिंसिपल डॉ आरके मिश्रा और एनिसथीजिया डिपार्टमेंट के हेड डॉ सतीश कुमार की 10 अगस्त को कॉलेज से अनुपस्थिति पर भी सवाल उठाए गए हैं. बता दें कि कुमार पर ही अस्पताल के विभिन्न वॉर्ड्स में ऑक्सिजन की सप्लाइ कायम रखने की जिम्मेदारी थी.
10 और 11 अगस्त को अस्पताल में 30 बच्चों की मौत हो गई थी. 10 अगस्त को ऑक्सिजन की सप्लाई बाधित हुई थी. हालांकि, यूपी सरकार का कहना है कि मौतों की वजह यह नहीं है. डीएम की रिपोर्ट में मौत का कारण तो नहीं बताया गया, लेकिन यह जरूर लिखा है कि डॉ. कुमार के अलावा चीफ फार्मासिस्ट गजानन जायसवाल ने जानबूझकर ऑक्सिजन सिलिंडरों की खरीद का रेकॉर्ड नहीं रखा. यह भी कहा गया है कि डॉ. सतीश कुमार ने न तो कभी लॉग बुक चेक किया और न ही इस पर हस्ताक्षर किए.
रिपोर्ट कहती है, ‘बीआरडी अस्पताल के ऑक्सिजन सिलिंडर के स्टॉक बुक में कई जगह ओवरराइटिंग है. यहां तक कि जिस लॉग बुक को डॉ. सतीश द्वारा मेंटेन रखना था, उस पर न ही हस्ताक्षर हैं और न ही अंगूठे के निशान.’ रिपोर्ट के मुताबिक, लॉग बुक में सिलिंडरों से जुड़े आंकड़ों में अनियमितताएं वित्तीय गड़बड़ियों की ओर इशारा करती हैं.

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