आज एक अप्रैल है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का स्थापना दिवस। वह रिजर्व बैंक जिसकी स्थापना में बाबासाहेब डॉ. आंबडेकर की अहम भूमिका थी। जी हां, बाबासाहेब आंबेडकर ने न सिर्फ भारतीय संविधान को बनाने में अहम भूमिका निभाई, बल्कि रिजर्व बैंक की स्थापना में उनका बेहद अहम योगदान था। डॉ. आंबेडकर ने हिल्टन यंग कमिशन को जो सुझाव दिया था, उसी के आधार पर ही 1 अप्रैल सन् 1935 को रिजर्व बैंक की स्थापना हुई थी।
बाबासाहेब आंबेडकर एक शानदार स्कॉलर थे। उन्होंने 1923 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स से अर्थशास्त्र में पीएचडी की थी। उनकी थीसिस का विषय था- The Problem of the Rupee: Its Origin and its Solution.डॉ. आंबेडकर द्वारा लिखित यह ग्रंथ भारतीय आर्थिक इतिहास और मुद्रा नीति पर केंद्रित है। ऐसे में जब रिजर्व बैंक की स्थापना की बात चली तो हिल्टन यंग कमिशन को इससे काफी मदद मिली। हिल्टन यंग कमीशन को ‘रॉयल कमीशन ऑन इंडियन करेंसी एंड फाइनेंस’ भी कहा जाता है। जब भारत में इस कमीशन को लेकर काम शुरू हुआ, तब कमीशन के सभी सदस्यों के हाथ में बाबासाहेब आंबेडकर की किताब ‘The Problem of the Rupee – Its origin and its Solution’ यानी भारतीय रुपये की समस्या – इसकी उत्पति व समाधान।
कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर 1934 में आरबीआई एक्ट को केंद्रीय विधान सभा में पास किया गया। आरबीआई एक्ट में केंद्रीय बैंक की जरूरत, वर्किंग स्टाइल और उसके आउटलुक को अंबेडकर के उसी कॉन्सेप्ट के आधार पर तैयार किया गया था, जो उन्होंने हिल्टन यंग कमीशन के सामने पेश किया था।
हालांकि, यह अजीब है कि रिजर्व बैंक के गठन में बाबा साहेब के अंबेडकर के योगदान को लेकर कोई आधिकारिक साक्ष्य नहीं है। आरबीआई की आधिकारिक वेबसाइट पर हिल्टन यंग कमीशन का जिक्र है, लेकिन अंबेडकर के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। हालांकि, कुछ किताबों में इसक जिक्र मिलता है। नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने उन्हें- ’फादर ऑफ माय इकॉनमिक्स’ कहकर सम्मान दिया था।
