Wednesday, February 5, 2025
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रोस्टर पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका खारिज, भर्तियों से SC-ST गायब

नई दिल्ली। उच्च शिक्षण संस्थानों की भर्तियों में 200 प्वाइंट रोस्टर की फिर से बहाली को लेकर चल रहे आंदोलन में बहुजन समाज को झटका लगा है. इलाहाबाद हाई कोर्ट में 200 प्वाइंट रोस्टर की फिर से बहाली की मांग खारिज होने के बाद केंद्र सरकार इस पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने और ऐसा नहीं होने पर इस मुद्दे पर अध्यादेश लाने की बात कहती रही, लेकिन हकीकत यह है कि इस मुद्दे पर केंद्र ने बहुजनों को धोखा दे दिया है.

इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर रिव्यू पेटिशन खारिज हो गया है. इसके ठीक बाद अब तमाम विश्वविद्यालयों में 13 प्वाइंट रोस्टर के तहत भर्तियां निकालने लगी हैं. इन भर्तियों में सवर्ण तबके के हिस्से में 90 से 95 फीसदी तक सीटें आ रही हैं, जबकि ओबीसी के हिस्से में 5 से 10 फीसदी. सबसे ज्यादा झटका दलित और आदिवासी समाज को लगा है, जिनको इन भर्तियों में एक भी सीट नहीं मिल रही है.

13 प्वाइंट रोस्टर के तहत निकली इन दो भर्तियों को देखिए. उत्तर प्रदेश के वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर की तरफ से 1 मार्च 2019 को एक विज्ञापन निकला है. 13 प्वाइंट रोस्टर विभागवार आरक्षण की बात करता है. ऐसे में जिस चालाकी से विभागवार पद निकाले गए हैं वह साफ तौर पर दलित, आदिवासी और पिछड़े समाज के प्रति इस विश्वविद्यालय के शीर्ष पदों पर बैठे लोगों के भेदभाव पूर्ण नजरिए को साबित करता है.

इसमें फिजिक्स, केमेस्ट्री, मैथेमेटिक्स और अर्थ एंड प्लानेटरी साइंस इन चार विभागों के लिए प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए नियुक्तियां निकाली गई है. इन सभी विभागों में अलग अलग पदों पर 7-7 रिक्तियों के विज्ञापन निकाले गए हैं. इसमें कुल 28 में से 24 पद गैर बहुजनों के हिस्से में आय़ा है, जबकि ओबीसी के हिस्से में चार पद आए हैं. जहां तक दलित और आदिवासी समाज की बात है तो वह मुंह ताकता आरक्षण का मजाक बनता देख रहा है.
इसी तरह जननायक चंद्रशेखर युनिवर्सिटी बलिया में तमाम विभागों और पदों को मिलाकर कुल 70 पदों के लिए विज्ञापन निकाले गए हैं. इसमें गैर बहुजन वर्गों ने 60 पद अपने कब्जे में ले लिया हैं, जबकि पिछड़े वर्ग यानि ओबीसी के हिस्से में 10 सीटें आई हैं. एक बार फिर यहां भी दलित औऱ आदिवासी समाज के हाथ कुछ नहीं लगा है.

शैक्षणिक संस्थाओं के अलावा अब रेलवे में भी 13 प्वाइंट रोस्टर लागू करने का आदेश जारी हो चुका है. ऐसे में देश के बहुजन इस अत्याचारी व्यवस्था के खिलाफ एक बार फिर 5 मार्च को भारत बंद की तैयारी में हैं. उनका साफ कहना है कि जब तक उन्हें इंसाफ नहीं मिलता, और सरकार इसको लेकर अध्यादेश नहीं लाती, तब तक वो 13 प्वाइंट रोस्टर के खिलाफ और 200 प्वाइंट रोस्टर की बहाली के लिए जंग जारी रखेंगे.

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