उडुपी। कर्नाटक के उडुपी में चल रहे धर्म संसद में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत विवादित राम मंदिर पर जो बयान दिया उसके बाद मुस्लिम बोर्ड की प्रतिक्रिया आई है. बता दें कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि राम जन्मभूमि पर केवल राम मंदिर ही बनेगा और कुछ नहीं, और ये उन्हीं की अगुवाई में बनेगा जो 20-25 सालों में इसके लिए झंडा लेकर चल रहे हैं. अब बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के कन्वेनर और वकील जफरयाब जिलानी ने भागवत के इस बयान को सुप्रीम कोर्ट को चुनौती करार दिया है वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के औवेसी ने भी इसे कानून का उल्लंघन करार दिया है.
एक अंग्रेजी अखबार की खबर के अनुसार जिलानी ने कहा है कि संविधान के अनुसार सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च अथॉरिटी है और वो यह तय करेगी कि मंदिर कहां बनना है और कहां नहीं. देश कानून के हिसाब से चलता है और हम सब फैसले का इंतजार कर रहे हैं. भागवत का बयान संविधान और सुप्रीम कोर्ट को चुनौती है.
वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के असदुद्दीन औवेसी ने कहा कि यह माहौल खराब करने की सोची समझी कोशिश हैं. जब मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो फिर ऐसे बयान कैसे दिए जा सकते हैं. बता दें कि आरएसएस प्रमुख ने उडुपी में कहा था कि राम मंदिर वहीं बनेगा. इसे लेकर कोई शक नहीं होना चाहिए, वहां वैसा ही भव्य मंदिर बनेगा जैसे पूर्व में बना था.
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