Saturday, February 22, 2025
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दलित-आदिवासी समुदाय के हजारों छात्रों को महाकुंभ में ले जाएगा आरएसएस

जातीय हमले और डॉ. आंबेडकर की विचारधारा के प्रसार के कारण दलित और आदिवासी समाज के लोग लगातार हिन्दू धर्म से विमुख हो रहे हैं। इस समाज को हिन्दू धर्म के तमाम लोग और संगठन अपनी संख्या बढ़ाने के लिए हिन्दू धर्म का हिस्सा तो मानते हैं, लेकिन उन पर होने वाले जातीय अत्याचार के खिलाफ आवाज नहीं उठाते हैं। आरएसएस का यह कदम दलितों-आदिवासियों को हिन्दू धर्म से जोड़ कर रखना है।

दलित और आदिवासी समाज के हिन्दु धर्म में बनाए रखना हिन्दू धर्म को बढ़ाने में लगे संगठनों के सामने एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। ऐसे में प्रयागराज मे चल रहे महाकुंभ से दलितों को जोड़ने के लिए आरएसएस ने कदम उठाए हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आर.एस.एस) आठ हजार दलित, आदिवासी छात्रों को कुंभ दर्शन कराएगा। यह काम संघ की शिक्षा शाखा, विद्या भारती करेगी। यहां 10 वर्ष से अधिक उम्र के छात्रों को उनके माता-पिता के साथ कुंभ मेले का दौरा कराया जाएगा। विद्या भारती के अनुसार, इस यात्रा का उद्देश्य इन बच्चों को हिंदू परंपराओं, भारतीय संस्कृति और महाकुंभ के आध्यात्मिक महत्व से परिचित कराना है, ताकि वे धर्मांतरण के प्रयासों से प्रभावित न हों।

मीडिया रिपोर्टस में प्रकाशित खबरों के मुताबिक अवध क्षेत्र के सेवा भारती स्कूलों के प्रशिक्षक रामजी सिंह ने बताया कि इन छात्रों को संतों के आश्रम, अखाड़ों और संगम घाट पर ले जाया जाएगा। उन्होंने कहा, “इस यात्रा से बच्चे भारतीय परंपराओं और महाकुंभ के आध्यात्मिक पहलुओं को समझ सकेंगे। यह उन्हें धर्मांतरण के दुष्प्रभावों से बचाने में मदद करेगा। विद्या भारती का संस्कार केंद्र, मुख्य रूप से गरीब और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को शिक्षा प्रदान करता हैं। वह इस कार्यक्रम के केंद्र में हैं। इन केंद्रों में बच्चों को न केवल नियमित स्कूली शिक्षा दी जाती है, बल्कि उन्हें भारत माता की पूजा, राष्ट्रभक्ति के गीत, और बड़ों का सम्मान करना भी सिखाया जाता है। महाकुंभ यात्रा में अवध क्षेत्र के 14 जिलों से करीब 2100 छात्र 16 से 18 जनवरी के बीच शामिल होंगे।

खास बात यह है कि कुंभ यात्रा के दौरान छात्रों को माता-पिता के साथ लेकर जाया जाएगा। उनके माता-पिता के ठहरने के लिए मेला क्षेत्र के सेक्टर 9 में एक विशेष शिविर स्थापित किया गया है। यात्रा के बाद, छात्रों के अनुभवों को साझा करने के लिए एक सत्र का आयोजन भी होगा। इसके बाद, गोरखपुर, काशी, और कानपुर क्षेत्रों से छात्रों के समूह क्रमशः 24 से 26 जनवरी और अन्य दिनों में यात्रा करेंगे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के छात्रों के लिए भी इसी तरह की योजना पर काम हो रहा है।

दरअसल जाति के आधार पर दलितों पर हर दिन होने वाले हमले और बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर की विचारधारा के प्रसार के कारण दलित और आदिवासी समाज के लोग लगातार हिन्दू धर्म से विमुख हो रहे हैं। लगातार जातीय हिंसा को झेल रहे इस समाज को हिन्दू धर्म के तमाम लोग और संगठन अपनी संख्या बढ़ाने के लिए हिन्दू धर्म का हिस्सा तो मानते हैं, लेकिन उन पर होने वाले जातीय अत्याचार के खिलाफ आवाज नहीं उठाते हैं। ऐसे में आर.एस.एस जैसे संगठन लगातार उन्हें हिन्दू धर्म के जोड़ने की कवायद करते रहते हैं।

यहां सवाल यह भी है कि जितनी गर्मजोशी से इन्हें महाकुंभ में ले जाने का प्लॉन बनाया जा रहा है, आरएसएस और उस जैसी संस्थाएं जातिवाद के खिलाफ लड़ाई क्यों नहीं लड़ती?

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