बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर को अपना आदर्श मानने वाले दिव्यांग तैराक सतेन्द्र सिंह ने एक और कारनामा कर दिखाया है। सतेन्द्र इन दिनों लंदन में हैं, जहां उन्होंने लंदन से फ्रांस और फ्रांस से लंदन तक 72 किमी की इंग्लिश चैनल टू वे मैराथन रिले तैराकी को सफलता पूर्वक पूरा कर इतिहास रच दिया है।
इस रिले तैराकी में छह दिव्यांग तैराक थे, जिसका नेतृत्व सेतन्द्र सिंह ने किया। सतेन्द्र ने अपनी टीम के साथ 18 जुलाई को यूके में डोबर समु्द्रतट से तैराकी शुरू की थी और टीम ने 19 जुलाई को तैराकी पूरी की। यह पूरी रिले तैराकी 31 घंटे और 29 मिनट में 72 किलोमीटर की दूरी तय करने के साथ पूरी हुई।
सतेन्द्र सिंह ने जिस तरह इस टीम का सफलता पूर्वक नेतृत्व किया, उसकी हर ओर चर्चा हो रही है। सतेन्द्र के साथ इस टीम में शामिल अन्य दिव्यांग तैराकों में नागपुर के जयंत जयप्रकाश दुबले, असम से एलविस अली हजारिका, बंगाल से रिमो शाह, तेलंगाना से सिवाकुमार और तमिलनाडु से स्नेहन शामिल थे। सतेन्द्र मध्य प्रदेश के भिंड के रहने वाले हैं। वह इंदौर में वाणिज्यकर विभाग में जॉब करते हैं।
सतेन्द्र और उनकी टीम ने लंदन के Dover से फ्रांस के Wassant तक जिस इंग्लिश चैनल को तैरकर पार किया, उसे विश्व में जितने भी चैनल हैं, उनका राजा कहा जाता है। इसका तापमान सबसे ठंडा रहता है। सतेन्द्र सिंह की टीम जब इंग्लिश चैनल में तैर रही थी, उस वक्त समुद्र में तेज ठंडी हवाएं और लहरें चल रही थी। समुद्र के पानी का तापमान 14 डिग्री सेल्सियस था।
इस उपलब्धि पर ‘दलित दस्तक’ से फोन पर बात करते हुए सतेन्द्र सिंह ने कहा कि, जीवन में कभी हार नहीं मानना चाहिए और निराश नहीं होना चाहिए। दिव्यांग युवाओं को सहानुभूति की नहीं, बल्कि सम्मान और प्रोत्साहन की जरूरत है। मेरा मानना है कि मेरे जैसा कोई भी व्यक्ति हो, अगर वह सफलता का संकल्प ले और मेहनत करे तो वह जीवन में मुझसे भी आगे बढ़ सकता है।
इस मैराथन तैराकी की एक और बड़ी उपलब्धि यह है कि सतेन्द्र सिंह के नेतृत्व में यह पहली एशियाई टीम है, जिसने ठंडे नार्थ चैनल को पार किया है। सतेन्द्र और उनके साथियों ने यह साबित कर दिया है कि इरादा मजबूत हो तो कोई भी मंजिल हासिल की जा सकती है।
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