कर्नाटक में किताबों में सावरकर-हेडगेवार बैन, डॉ. अंबेडकर और सावित्रीबाई फुले की वापसी

कर्नाटक में निजाम बदलने के साथ ही पुराने कानूनों को पलटने का काम भी शुरू हो गया है। महीना बीतते ही कांग्रेस सरकार ने पूर्व की भाजपा सरकार द्वारा लाए गए धर्मांतरण के कानून को रद्द करने की न सिर्फ पूरी योजना बना ली है बल्कि कर्नाटक कैबिनेट ने इस पर मुहर भी लगा दी है। जल्दी ही इस प्रस्ताव को विधानसभा में लाया जाएगा। इसके साथ ही कैबिनेट ने राज्य में कक्षा छह से 10 तक की पाठ्यपुस्तकों में आरएसएस के संस्थापक केबी हेडगेवार और हिंदुत्ववादी विचारक वीडी सावरकर पर चैप्टर हटाने का भी फैसला किया है।

कैबिनेट बैठक के बाद कानून एवं संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने संवाददाताओं को बताया कि बैठक में भाजपा के समय लाए गए धर्मांतरण विरोधी कानून पर चर्चा हुई। इसे रद्द करने के लिए सरकार विधानसभा के आगामी सत्र में बिल लाएगी। गौरतलब है कि कांग्रेस के विरोध के बीच यह विवादास्पद बिल 2022 में लागू किया गया था। इसके प्रावधानों का उल्लंघन संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध है और इसमें सख्त सजा का भी प्रावधान है।

पाठ्यपुस्तकों से जुड़े फैसले के बारे में बताते हुए पाटिल ने कहा कि कन्नड और सोशल साइंस की पाठ्यपुस्तकों में हेडगेवार और सावरकार पर पाठ हटाने के अलावा भाजपा सरकार के समय के अन्य संशोधनों को भी बदला जाएगा। समाज सुधारक सावित्री बाई फुले, इंदिरा को लिखे नेहरू के पत्र और अंबेडकर पर कविता को फिर पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। हालांकि, इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया कि क्या टीपू सुल्तान पर भी चैप्टर होगा।

हर दिन पढ़नी होगी संविधान की प्रस्तावना
वहीं, सरकारी और गैर-सरकारी सभी स्कूल-कॉलेजों में प्रतिदिन संविधान की प्रस्तावना पढ़ना अनिवार्य किया जाएगा। यही नहीं, राज्य के सभी सरकारी और अर्ध-सरकारी कार्यालयों में संविधान की प्रस्तावना का चित्र लगेगा। सामाजिक कल्याण मंत्री एचसी महादेवप्पा ने कहा कि इससे युवाओं में भाईचारे की भावना बढ़ेगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.