मध्य प्रदेश के शहर भोपाल में 10 साल की मुस्कान अहिरवार झुग्गी बस्ती में रहती है. दुर्गा नगर बस्ती में रहने वाली यह बच्ची 5वीं क्लास में पढ़ती है. आमतौर पर इस उम्र के बच्चे सहेलियों और गुड़ियों के साथ खेलने में मशगूल रहते हैं. लेकिन मुस्कान अपने उम्र के बच्चों से काफी अलग है. और उसने कुछ ऐसा काम किया है कि उसे अपने काम की बदौलत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है.
मुस्कान अहिरवार बचपन से ही बच्चों के लिए एक लाइब्रेरी शुरू करना चाहती थी. वह यह सब सोच ही रही थी कि उसके पिता का निधन हो गया. पिता की मौत के सदमे से उबरते ही उन्होंने बच्चों को पढ़ाई के प्रति प्रेरित करने का बीड़ा उठाया. एक साल पहले उसने अपने दम पर बच्चों के लिए लाइब्रेरी शुरू की. इस पहल के लिए उन्हें विश्व स्तरीय डायना प्रिंसेस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. अब मुस्कान की लाइब्रेरी में 1 हजार से अधिक पुस्तकें हैं. उनकी लाइब्रेरी में रोजाना बस्ती के कई बच्चे पढ़ने आते हैं. मुस्कान भी खुद उनके साथ पढ़ती है.
मुस्कान की इस पहल के लिए नीति आयोग ने उन्हें पिछले साल वुमन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवार्डस से सम्मानित किया था. इसके बाद गुजरात के मधीश पारिख ने मुस्कान का नाम डायना अवॉर्ड के लिए प्रस्तावित किया. इस अवॉर्ड के लिए दुनियाभर से करीब 50 हजार एंट्री आई थीं. यह अवॉर्ड समाज के लिए अनोखा काम करने वाले कम उम्र के बच्चों को दिया जाता है.
इस अवॉर्ड के लिए दुनियाभर के 240 बच्चों का चयन हुआ है, इनमें भोपाल की मुस्कान का नाम भी शामिल है. द डायना प्रिंसेस अवॉर्ड प्रिंसेस डायना की याद में दिया जाता है. हालांकि इस नन्ही बालिका को इस अवॉर्ड के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन एक नया अवॉर्ड मिलने की खुशी में मुस्कान का चेहरा खिल उठा है.
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