दलित और पिछड़े युवाओं के साथ उत्तर प्रदेश में किस तरह अन्याय हो रहा है, यह बुधवार को राजधानी लखनऊ की सड़कों पर साफ दिखा। जब योगी आदित्यनाथ की पुलिस ने दलितों और पिछड़े वर्ग के युवाओं पर जमकर लाठियां भाजी। दरअसल शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में बुधवार 29 नवंबर को एक बार फिर से सरकार के खिलाफ हमला बोलते हुए हजारों प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया। पिछले 530 दिनों से ज्यादा समय से यह अभ्यर्थी लखनऊ के ईको गार्डेन में अपनी नियुक्ति की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
इसी मुद्दे पर इंसाफ मांग रहे हजारों युवाओं ने बुधवार को सुबह चारबाग से विधानसभा तक प्रदर्शन किया। पिछड़े दलितों को न्याय दो के नारे लगाते अभ्यर्थी लगातार विधानसभा की तरफ बढ़ रहे थे। लेकिन इंसाफ देने की बजाय उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ की पुलिस ने हुसैनगंज चौराहे के पास बैरिकेटिंग करके अभ्यर्थियों को रोक दिया। इस दौरान पुलिस की बर्बरता में कई अभ्यर्थी घायल हो गए।
अभ्यर्थियों का कहना था कि 5 जनवरी 2022 को ही मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद आरक्षित वर्ग के 6800 अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए सूची जारी कर दी गयी लेकिन नियुक्ति आजतक नहीं मिल पायी। हमलोग सिर्फ एक माँग कर रहे हैं कि हमारी मुलाकात माननीय मुख्यमंत्री जी से कराई जाए ताकि हमें नियुक्ति मिल सके। माँगें न मानी गयी तो कल सुबह दोबारा विधानसभा का घेराव करने को मजबूर होंगे।
दूसरी ओर हाल ही में इस मामले में उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट में बहस हुई। इस दौरान ओबीसी समाज के वकील सुदीप सेठ ने मामले की सुनवाई करने वाले जस्टिस भाटिया से कहा कि इस भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत नहीं, बल्कि 3.80 प्रतिशत ही आरक्षण दिया गया है। जबकि अनुसूचित जाति के 21 प्रतिशत की जगह 16.2 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। एडवोकेट सुदीप सेठ ने दावा किया कि शिक्षक भर्ती में 6800 सीटों का नहीं बल्कि 19 हजार सीटों का घोटाला हुआ है। इस पर हाई कोर्ट जज ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि पीड़ितों को नौकरी दीजिए वरना हम फैसला करेंगे।