वित्तीय वर्ष 2017-18 का बजट पेश करने के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में यह घोषणा किया कि इस वर्ष अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए बजट में 35 प्रतिशत की वृद्धि की गई है. पिछले वर्ष के बजट में घोषित धनराशि 38 हजार 832.63 करोड़ रूपए को बढ़ाकर 52 हजार 392.55 करोड़ रुपया कर दिया गया है. इसी प्रकार अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए आवंटित धनराशि को 25 हजार 005 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 31 हजार 919.51 करोड़ रुपया कर दिया गया है.
वित्त मंत्री की इस घोषणा पर सांसदों ने तालियां बजाईं, प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया ने प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री और सरकार को शाबाशी दी. विपक्षी दल कमोवेश खामोश रहे. सरकार ने अपनी इस उपलब्धि का उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखण्ड आदि प्रदेशों के विधान सभा चुनावों में ढिंढोरा पीटा और दलित आदिवासी मतदाताओं को बताया कि केंद्र की भाजपा सरकार आपकी सबसे बड़ी हितैषी है. क्या केंद्र सरकार का यह दावा सच है, या इन आंकड़ों को पेश करते हुए जानबूझ कर हेराफेरी की गई. यह तथ्यों और तर्कों के आधार पर पूरी तरह झूठ है. या आंकडों की बाजीगरी और वास्तविक तथ्यों को छिपा कर अनुसूचित जातियों और जनजातियों को छला गया है. इन समुदायों को सरेआम धोखा दिया गया है. यदि छला गया है, धोखा दिया गया है, तो कैसे दिया गया? और क्यों इसकी भनक तक अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के समुदायों और उनके प्रतिनिधियों को नहीं लगी?
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सिर्फ नेशनल कैंपेन आन दलित हयूमन राइट्स (NSCDHR) और भारत सरकार के पूर्व सचिव पी. एस. कृष्णन ने अपने पर्चे ‘‘बजट 2017-18 एण्ड दी स्पेशल कंपोनेन्ट प्लान फॉर शिडयूल्स कास्टस (SCP) और ट्राइबल सब प्लान (TsP)’’ में हकीकत को सामने रखा और बताया कि वास्तव में जो धनराशि अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए आवंटित की गई है, स्वीकृत राष्ट्र नीति के तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लिए अनिवार्य तौर पर घोषित होने वाली राशि से कितनी कम है. दूसरे शब्दों में कहें तो वास्तव में कितने बड़े पैमाने पर कटौती की गई है. आइए अनुसूचित जाति उपयोजन (SCSP) और अनुसूचित जनजाति उपयोजना (TSP) के संदर्भ में मोदी सरकार के पिछले बजट (2017-18) और उसके पहले के बजटों को देखें.
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सारे जोड़-घटाव लगाकर भी यदि किसी भी मानदंड पर निकाला जाए तो इस वर्ष के बजट (2017-18) में कम से कम अनुसूचित जातियों (जनसंख्या 16.6 प्रतिशत) के लिए 1 लाख 56 हजार 883 करोड़ रुपया आवंटित होना चाहिए था. जबकि कुल आवंटन 52 हजार 392. 55 करोड़ हुआ. यानी अनुसूचित जातियों के हिस्से की धनराशि में 1 लाख 04 हजार 490.45 करोड़ रुपये की कटौती कर दी गई. ध्यान रहे इस बार का कुल बजट 21 लाख 46 हजार 734.78 करोड़ का है. यदि कुल 1 लाख 56 हजार 883 करोड़ रूपया अनुसूचित जातियों के लिए आंवटित भी किया जाता, तो भी यह कुल धनराशि बजट का सिर्फ 4.62 प्रतिशत ही होता, क्योंकि एक हिस्सा गैर-योजनागत खर्चों का होता है.
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डॉ. सिद्धार्थ का खुलासा
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