लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में चौथी कक्षा से आठवीं कक्षा तक पढ़ाई जाने वाली किताबों का पुनरीक्षण किया जा रहा है. इसके लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने बेसिक माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों के सुझाव और विचार भी मांगे है.
4 अप्रैल 2018 से राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्था (एनसीईआरटी) का नया पाठ्यक्रम लागू कराने जा रही है. यूपी बोर्ड ने नौवीं से बाहरवीं तक के संशोधित पाठ्यक्रम को एनसीईआरटी को भेज दिया है.
इन सब के बीच अखिल भारतीय लोधी महासभा की मांग पर यूपी के शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि पाठ्यक्रम में अवंतीबाई जल्द शामिल होंगी. दलित समाज के लोगों ने शिक्षामंत्री के इस बयान पर आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि 1857 की क्रांति में वीरंगाना झलकारी बाई और मातादीन भंगी ने अहम भूमिका निभाई है. लेकिन प्रशासन उन्हें पाठ्यक्रम में शामिल क्यों नहीं कर रहा है? सिर्फ इसलिए कि वे दलित समाज से थे.
आगरा के रहने वाले गोविंद सिंह ने कहा कि राज्य के शिक्षा मंत्री को बहुजन नायकों को भी याद करना चाहिए. वीरांगना झलकारी बाई ने लक्ष्मी बाई के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई लड़ी थी. मातादीन भंगी ने भी स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई लड़ी थी.
गोविंद सिंह का कहना है कि प्रत्येक जिले से प्रत्येक व्यक्ति जिला अधिकारी को ज्ञापन दें और वीरंगाना झलकारी बाई और मातादीन भंगी को पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग करें. गोविंद ने आगे कहा कि मेरे समस्त साथीगण जिला अधिकारी को ज्ञापन देने जा रहे हैं. पाठ्यक्रम में स्वतंत्रता संग्राम की वीरंगाना झलकारी बाई और मातादीन भंगी को शामिल किया जाए. स्कूलों में पढ़ाया जाए.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।