उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) के बारा तहसील के अंतर्गत आने वाले सेहुरा गांव के ग्राम प्रधान रज्जन कोल की गिरफ्तारी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। ग्राम प्रधान की गिरफ्तारी के विरोध में सेहुड़ा गाँव के ग्रामवासी लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। धरना स्थल पत्थर गिरजा सिविल लाइन, प्रयागराज में धरना पर सैकड़ों ग्रामवासी बैठे रहे और ग्राम प्रधान की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। ग्रामवासियों का आरोप है कि ग्राम प्रधान को फर्जी मुकदमे में फंसाया गया है। ग्रामवासियों की मांग है कि इस मामले में एसओ व सीओ बारा के खिलाफ उच्चस्तरीय जांच की जाए।
ग्रामवासियों के धरना को देखते हुए धरनास्थल पर जिलाधिकारी के प्रतिनिधि के रूप में अपर नगर मजिस्ट्रेट पहुंचे। अपर नगर मजिस्ट्रेट से घटनाक्रम का ब्यौरा देते हुए ग्राम वासियो ने पूरे मामले की जानकारी दी। ग्रामवासियों का कहना था कि “हमारे गांव के लोकप्रिय ग्राम प्रधान को फंसाया जा रहा है। उनका कहना है कि जब सेहुड़ा गांव में रात घुस आए संदिग्ध व्यक्ति को गांव से बाहर ले जाने के लिए 112 नम्बर पर फ़ोन करके पुलिस से मदद मांगी गई तो 112 नम्बर पुलिस आई भी लेकिन संदिग्ध व्यक्ति को ले जाने से साफ़ इंकार कर दिया। जिस पर ग्रामवासी गुस्से में आ गए और नाराज़ होने लगे। क्योंकि ग्रामवासी उस संदिग्ध व्यक्ति से अपने महिलाओं, बच्चों व मवेशियों की सुरक्षा को लेकर बहुत डरे हुए थे।”
ग्रामवासियों का आरोप है कि उनके बार बार आग्रह पर पुलिस संदिग्ध व्यक्ति को थाने ले गई। आरोप है कि हल्का दरोगा अजीत कुमार ने ग्रामीणों को पूछताछ के लिए थाने बुलाया और जब ग्रामीण थाने पर गए तो बिना किसी चेतावनी के उनपर बर्बर लाठीचार्ज किया गया, जिसमें महिलाओं सहित कई लोगों को चोटें आई। साथ ही ग्राम प्रधान रज्जन कोल और उनके छोटे भाई अर्जुन कोल थाने के अंदर बुलाकर बंद कर दिया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान रज्जन कोल उनके छोटे भाई अर्जुन कोल, बीडीसी के पति श्याम मोहन पाल, राजू कुशवाहा, सुरेश वर्मा पर फर्जी मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। ग्राम प्रधान रज्जन कोल को जेल भेज दिया, जो पूरी तरह से अन्याय है। ग्राम वासियों ने कहा हम जिलाधिकारी महोदय प्रयागराज से मांग करते कि एक उच्च स्तरीय समिति बनाकर निष्पक्षता से जाँच करवाएं और ग्रामीणों में व्याप्त भय के वातावरण को दूर करते हुए कानून का राज स्थापित करें।
ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि जब सेहुड़ा ग्राम वासी अपनी बात शान्तिपूर्ण व लोकतांत्रिक तरीके से प्रयागराज जिलाधिकारी कार्यालय पर कहने के लिए आ रहे थे तो बारा व घुरपुर पुलिस ने उनकी गाड़ियों को रोका? उन्हें जबरदस्ती वापस उनके गांव क्यों ले जाया गया। ग्रामवासियों का कहना है बारा पुलिस ने सेहुड़ा ग्राम को चारों तरफ़ घेर रखा है और ग्रामीणों को जरूरी व जीवनोपयोगी सामान लिए घर से बाहर नहीं जाने दे रही है।
धरनास्थल पर सेहुड़ा बारा के शुभम कोल, अनिल, बब्बू साथी शांति देवी, विभा, सोना देवी, मालती देवी, गेंदा कली, बृजेश आदिवासी, पंचम लाल, सुनील, पुष्पराज, सुनीता देवी, शुशीला, लालजी, जोखू, उमाशंकर रैदास, बीरबल चौहान, और इलाहाबाद नागरिक समाज से डॉ कमल उसरी, सुभाष पाण्डेय, एडवोकेट माता प्रसाद, एड चंद्र पाल, मनीष सिन्हा, रिशेश्वर उपाध्याय, विनोद तिवारी, गायत्री गांगुली, अनिल वर्मा, सुनील मौर्य, बाबू लाल, अशोक, सोनू यादव, नसीम, अखिल, सुमित कुमार, प्रदीप ओबामा, आर ए पाल इत्यादि शामिल रहें। अर्जुन कोल, उमा कोल, राजबहादुर, मीना देवी, सुंदरी इत्यादि कई लोगों को पुलिस ने रास्ते में ही रोक कर वापस भेज दिया गया।
रिपोर्ट- अंकित तिवारी, प्रयागराज

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।
जय भीम