मेरठ। टीम इंडिया के विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने मेरठ में चल रहे जागरण क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल में विजेता टीम को पुरस्कृत किया. इससे पहले वह दैनिक जागरण कार्यालय पहुंचे और क्रिकेट से जुड़े तमाम पहलुओं पर बातचीत की. शहर के कई स्कूलों के बच्चों ने भी सहवाग से सवाल किए. क्रिकेटर बनने की चाहत रखने वालों को सहवाग ने खेल और पढ़ाई में संतुलन का मंत्र दिया.
सहवाग से पूछा गया कि आप सोशल मीडिया पर खासे सक्रिय रहते हैं. सामाजिक-राजनीतिक विषयों पर आपकी राय सामने आती रहती है. क्या आगे सियासी पारी का कोई इरादा है? सहवाग का कहना था कि किसी भी मसले पर राय रखने की सोशल मीडिया से सहूलियत मिली है लेकिन, अभी किसी सियासी पारी का इरादा नहीं है. क्रिकेट पर हावी स्टार कल्चर और कोच से लेकर कमेंटेटर तक के निर्णय में कप्तान की भूमिका होने पर उन्होंने कहा कि भारतीय क्रिकेट में कप्तान का थोड़ा-बहुत प्रभाव हमेशा से था. अभी अगर मेरे कोच बनने वाली बात को लें तो कप्तान विराट कोहली ने मुझसे संपर्क किया. मैंने आवेदन किया, लेकिन मैं कोच नहीं बना. ऐसे में आप कैसे कह सकते हैं कि हर चीज में कप्तान की चलती है. उन्होंने कहा कि अगर कप्तान की चलती तो मैं कोच होता. हालांकि, उनकी इस बात पर यकीन करना इसलिए मुश्किल हो रहा है क्योंकि मौजूदा कोच रवि शास्त्री को विराट कोहली की पसंद माना जाता है. कहा जाता है कि कोहली की वजह से ही शास्त्री टीम के कोच हैं.
आत्मकथा के सवाल पर सहवाग ने कहा कि तमाम क्रिकेटर्स की जीवनी आ रही है. मैं भी इस बारे में सोच रहा हूं. अच्छे लेखक की तलाश है. हो सकता है कि जल्द ही इस बारे में आपको पता चले. अपनी बायोपिक के सवाल पर सहवाग ने कहा कि अभी न तो इस बारे में उनसे कोई संपर्क किया गया है और न ही उन्होंने भी इस बारे में उन्होंने कुछ सोचा है. मेरा मानना है कि पहलवान सुशील कुमार की बायोपिक आनी चाहिए. उनके संघर्ष को मैंने करीब से देखा है.
साभार- दैनिक जागरण
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